तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के नागरिक अपना मुल्क छोड़ने पर मजबूर है। पूरे शहर में अफरा-तफरी मचा हुआ है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा होने के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। उनके साथ उनका परिवार और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब भी देश छोड़कर चले गए। अब तालिबान ने अशरफ गनी समेत उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और अफगान NSA को माफ कर दिया है। ये तालिबान की नई चाल या फिर वाकई माफ कर दिया है फिलहाल इसपर कुछ भी कहना मुश्किल हैं। तालिबन ने कहा है कि वो इन नेताओं को माफ कर दिया है और ये तीनों देश लौट सकते हैं।
पाकिस्तान की जियो न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में तालिबान के वरिष्ठ नेता खलील उर रहमान हक्कानी ने कहा कि अशरफ गनी, अमरुल्ला सालेह एवं पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब और तालिबान के बीच किसी तरह की दुश्मनी नहीं है। खलील ने कहा कि, हम अशरफ गनी, अमरुल्लाह सालेह और हमदुल्लाह मोबिब को माफ करते हैं। तीनों लोगों को तालिबान के बीच दुश्मनी सिर्फ धर्म पर आधारित थी। हम अपनी ओर से सभी को माफ करते हैं। इसमें आम आदमी से हमारे खिलाफ युद्ध लड़ने वाले जनरल भी शामिल हैं।
इसके साथ ही अफगानिस्तान से भाग रहे लोगों से तालिबानी नेता ने अग्राह करते हुए कहा है कि, वो ऐसा न करें। दुश्मन इस बात का प्रचार करने में जुटा हुआ है कि लोगों से बदला लिया जाएगा। ताजिक, बलोच, हजारा और पश्तून सभी हमारे भाई हैं। सभी अफगान हमारे भाई हैं और इसलिए वे मुल्क वापस लौट सकते हैं। हमारी दुश्मनी का एकमात्र वजह राजनीतिक सिस्टम को बदलने की महत्वकांक्षा थी। सिस्टम अभ बदल चुका है। इसके आगे हक्कानी ने कहा कि, तालिबान वे लोग नहीं थे जिन्होंने अमेरिका के खिलाफ युद्ध लड़ा। अमेरिका के खिलाफ हथियार इसलिए उठाया गया, क्योंकि उसने हमारी मातृभूमि पर हमला किया।
इसके आगे तालिबानी नेता हक्कानी ने कहा कि, अमेरिका हमारे खिलाफ और हमारी मातृभूमि पर हथियारों का इस्तेमाल कर रहे थे। ऊपर वाले ने तालिबान को अमेरिकी हथियार दिए, ताकि जीत मिल सके। तालिबान ने अपने दुश्मनों पर एक बड़ी जीत हासिल की है. अफगानिस्तान सेना में 3,50,000 सैनिक शामिल थे जिन्हें अमेरिका, नाटो और अन्य देशों का समर्थन प्राप्त था। इसके बाद भी जीत हमें मिली है। इसके आगे हक्कानी ने मुस्लिम देशों के लिए कहा कि, तालिबान चाहता है कि सभी मुस्लिम देश आपस में मेल-मिलाप करें।