मोदी सरकार ने देश की फैक्ट्रीयों और दफ्तरों में काम करने के घण्टों में बदलाव का फैसला कर लिया है। नए लेबर लॉ के तहत ये बदलाव एक अक्टूबर से लागू होने जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि ने लेबर लॉ के मुताबिक अब हफ्ते में सिर्फ पांच दिन काम करना होगा, मगर रोजाना की शिफ्ट 12 घण्टे की होगी। पीएफ वगैरह बढ़ जाएगा, बचत में भी इजाफा होगा।
कर्मचारियों के हित में पहला कदम यह है कि कर्मचारियों की जितनी भी सैलरी होगी उसका 50 फीसदी मूल वेतन होगा। अभी तक एम्पालयर्स मूल वेतन कम रखते थे और भत्ते वगैरा देकर कुल सैलरी बढा देते थे। ऐसे में एम्पलायर की जिम्मेदारी कम होती थी। नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए।
इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन संरचना बदलेगी, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलेरी के 50 फीसदी से कम होता है। वहीं कुल वेतन में भत्तों का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है। मूल वेतन बढ़ने से आपका पीएफ भी बढ़ेगा। पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है। ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में इजाफा होगा।
इससे लोगों को रिटायरमेंट के बाद सुखद जीवन जीने में आसानी होगी। ज्यादा भुगतान वाले अधिकारियों के वेतन संरचना में सबसे अधिक बदलाव आएगा और इसके चलते वो ही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होगी। क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा। इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी।
नए कानून में मुताबिक अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है। ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है। कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल हैं।