पंजशीर घाटी को अपने कब्जे में करने के लिए साम-दाम की रणनीति अपना रहे तालिबान को भारी झटका लगा है। तालिबान ने पहले अहमद मसूद के बारे मे अफवाह फैलाई और अमेरिकी सेना के छोड़े गए हथियारों के साथ 10 हजार तालिबान भेजकर हमला कर दिया। इस हमले का जवाब देते हुए पंजशीर के लड़ाकों ने लगभग एक हजार तालिबानियों को मौत के घाट उतार दिया है।
पंजशीर में अहमद मसूद और तालिबान के बीच भीषण संघर्ष चल रहा है। इस हमले में तालिबान को मिल रही करारी हार की जानकारी बीबीसी से ने दी है। पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के साथ जाने के दावे को खारिज कर दिया है। मसूद ने कहा है कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेगा और तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा।
फ्रांस की जानी-मानी हस्ती लेवी ने बताया कि मैंने अहमद मसूद से फोन पर बात की। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं। मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है। अहमद के पिता पहले सोवियत संघ और फिर तालिबान के खिलाफ विरोध का प्रमुख चेहरा थे। अहमद मसूद ने फ्रांस, यूरोप, अमेरिका और अरब से भी मदद मांगी है।
लेवी ने कहा है कि 20 साल पहले सोवियत संघ और फिर तालिबान के खिलाफ उनकी लड़ाई में ये देश पहले उनकी मदद कर चुके हैं। अहमद मसूद ने अमरुल्ला सालेह के साथ मिलकर अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत की सुरम्य घाटी से तालिबान विरोधी मोर्चा शुरू किया है। पंजशीर तालिबान विरोधी आंदोलन का केंद्र रहा है। अहमद मसूद ने 2019 में एक गठबंधन बनाया था जिसे नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान कहा जाता था। यह गठबंधन नादर्न अलायंस की तर्ज पर तैयार किया गया था।