पाकिस्तान को शायद एहसास हो गया है कि तालिबानियों के साथ दोस्ती सांपों को पालने से ज्यादा खतरनाक हो सकती है। इसलिए बीते 24 घण्टों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दो ऐसे बड़े फैसले किए हैं। पहला फैसला तो यह कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का काबुल दौरा अचानक स्थगित कर दिया और दूसरा यह कि पाकिस्तान ने काबुल से अपनी सभी फ्लाइट्स को भी रद्द कर दिया है।
हालांकि, पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान के लिए सभी फ्लाइट्स को रद्द करने के पीछे एयरपोर्ट पर गंदगी और अव्यवस्था का बहाना दिया है। जबकि यह वही काबुल एयरपोर्ट है जहां से अमेरिका सहित सभी पश्चिमी देश और भारत अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकाल रहे हैं। दरअसल, तालिबान की अफगानिस्तान में जीत के बाद पाकिस्तान में जश्न मनाए गए हैं।
टीटीपी समर्थक मुल्ला-मौलवी और मदरसों में तालिबान के समर्थन में हुए प्रदर्शनों ने इमरान खान की नींद उड़ाकर रख दी है। अगर ये प्रदर्शन पाकिस्तान के सीमांत प्रांत में होते तो इमरान खान के सामने बचाव का बहाना होता लेकिन तालिबान के समर्थन में ये प्रदर्शन और आयोजन पाकिस्तान की राजधानी इस्लमाबाद में होने से इमरान खान न कुछ कह पा रहे हैं और न कुछ कर पा रहे हैं।
अफगानिस्तान के हालातों पर निगाह रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत के विकास कार्यों को नुकसान पहुंचाए जाने से बेहद खुश है। पाकिस्तान चाहता है कि भारत अफगानिस्तान से पूरी तरह हट जाए तो उसका काबुल प्रभाव जम जाएगा। इसीलिए पाकिस्तान तालिबान को हर संभव मदद कर रहा है।
इतना ही नहीं पाकिस्तान ने चीन के लिए तालिबान के साथ कई बार मध्यस्थता भी की है। चीन को इस बात के लिए राजी कर लिया है कि वो भारत की जगह अफगानिस्तान में निवेश करेगा। चीन ने अफगानिस्तान में निवेश करने पर सहमति भी दे दी है। करीब 20 साल बाद, अफगानिस्तान की कमान तालिबान के हाथ में आ चुकी है।
अफगनिस्तान के लोग किसी तरह उस हुकूमत से बच निकलना चाहते हैं जिसने उन्हें आतंक के खौफनाक चेहरे से रूबरू कराया। अफगानी जनता उन दिनों को फिर से नहीं जीना चाहती। यही वजह है कि जब तालिबान का कब्जा बढ़ा तो जो निकल सकते थे, उन्होंने सामान बांधना शुरू कर दिया। पिछले कुछ दिनों से पलायन का दौर जारी है।