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Afghanistan की पहली महिला चुनाव आयुक्त ने बयां किया दर्द, ‘तालिबान का कब्जा इतिहास का एक बदनुमा चैप्टर हैं’

photo courtesy google

अफगानिस्तान में तालिबान के आतंक ने तबाही मचाई हुई हैं। वहां के हालातों को अफगानिस्तान की पहली महिला चुनाव आयुक्त आलम नूरिस्तानी ने बयां किया। आपको बता दें कि नूरिस्तानी अफगानिस्तान के स्वतंत्र चुनाव आयोग की पहली महिला प्रमुख थीं और उन्होंने ही 2019 के चुनाव में अशरफ गनी की जीत के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। अफगानिस्तान स्वतंत्र चुनाव आयोग भारत में चुनाव आयोग जैसे ही हैं। भारतीय चुनाव आयोग में तीन चुनाव आयुक्त होते हैं, जबकि अफगानिस्तान के चुनाव आयोग में आठ चुनाव आयुक्त हैं।

अफगानिस्तान के चुनाव आयोग के चेयरमैन के तौर पर नूरिस्तानी का कार्यकाल इस साल पूरा हो गया था, लेकिन आठ चुनाव आयुक्तों में से एक के तौर पर वो अपनी सेवाएं दे रही थीं। बतौर चेयरपर्सन नूरिस्तानी की जगह लेने वाले औरंगजेब भी काबुल नहीं लौट पाए और अब किसी और देश में हैं। उन्होंने बेरूत में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बताया कि वो काबुल से 8 अगस्त को रवाना हुईं थी, उस वक्त उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि आने वाले दिन कैसे होंगे।

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एक हफ्ते बाद 15 अगस्त को जब नूरिस्तानी अपने सहकर्मियों के साथ दुबई एयरपोर्ट पर काबुल के लिए ट्रांजिट फ्लाइट का इंतजार कर रही थीं, तब उनके परिजनों ने उन्हें काबुल में तालिबानी कब्जे के बारे में बताया। ये खबर सुन नूरिस्तानी से कहा गया कि घर लौटना सुरक्षित नहीं होगा। इसलिए नूरिस्तानी अब किसी दूसरे देश में रह रही हैं। इसको लेकर उन्होंने बताया कि वो काबुल से 8 अगस्त को रवाना हुईं थी, उस वक्त उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि आने वाले दिन कैसे होंगे।

एक हफ्ते बाद 15 अगस्त को जब नूरिस्तानी अपने सहकर्मियों के साथ दुबई एयरपोर्ट पर काबुल के लिए ट्रांजिट फ्लाइट का इंतजार कर रही थीं, तब उनके परिजनों ने उन्हें काबुल में तालिबानी कब्जे के बारे में बताया और कहा गया कि घर लौटना सुरक्षित नहीं होगा। इसलिए नूरिस्तानी अब किसी दूसरे देश में रह रही हैं। उन्होंने कहा- मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकती, जब मैंने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बारे में सुना। ऐसा महसूस हुआ कि सब कुछ खत्म हो गया है। हमें नहीं पता था कि हमें कहां जाना चाहिए, ये सब कुछ बड़ी तेजी से हुआ।'

नूरिस्तानी ने बताया कि तालिबान ने उनके घरों पर कब्जा कर लिया है। वो हमारी कार ले गए हैं, हमारे बॉडीगॉर्ड ले गए और हमारे उपकरण भी उठा ले गए। उन्होंने हमारे घरों में लूट मचाई। घर के सारे लोग विस्थापित हो गए हैं। मेरे बच्चों और गर्भवती बहू को छिपना पड़ा है। नूरिस्तानी ने कहा कि अफगानिस्तान में काबुल पर तालिबान का कब्जा इतिहास का एक बदनुमा चैप्टर है। हमने दो दशकों में हासिल प्रगति को खो दिया है। मानवाधिकार और महिला अधिकारों के लिए किया गया काम खत्म हो गया है।