चीन को अफ्रीकी देशों ने करारा झटका दिया है। एशिया के बाद चीन अपने आर्थिक कुटनीति की जाल में अफ्रीकी देशों को भी फंसाने की कोशिश कर रहा था लेकिन ड्रैगन को यहां नाकाम होना पड़ा। चीन के साथ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की सरकार ने लगभग 44 हाजर करोड़ की माइनिंग डील की समीक्षा करनी शुरू कर दी है। कांगो के वित्त मंत्री निकोलस काजादी ने कहा है कि, सरकार चीनी निवेशकों के साथ किए गए माइनिंग अनुबंधों की समीक्षा कर रही है। यह सौदा 6 बिलियन डॉलर का है जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर-फॉर-मिनिरल्स डील नाम दिया गया है।
कांगो की सरकार ने इस महीने घोषणा की थी कि उसने चीन मोलिब्डेनम के बड़े पैमाने पर टेनके फंगुरुमे कॉपर एंड कोबाल्ड माइन में भंडार और संसाधनों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए एक आयोग का गठन किया था। इसके जरिए सरकार अपने अधिकारों का दावे को मजबूत करना चाहती है। वित्त मंत्री निकोलस काजादी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 2007 का सौदा चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों सिनोहाइड्रो कॉर्प और चाइना रेलवे ग्रुप लिमिटेड के साथ हुआ था। कांगो सरकार के इस ऐलान पर सिनोहाइड्रो और चाइना रेलवे ने रॉयटर्स के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया। इस ज्वाइंट वेंचर का अधिकतर स्वामित्व चीन की सरकारी कंपनी सिनोहाइड्रो और चाइना रेलवे के पास ही है।
चीन की सिनोहाइड्रो और चाइना रेलवे को सिकोमाइन वेंचर में 68 फीसदी की हिस्सेदारी कांगो की पूर्ववर्ती सरकार में राष्ट्रपति जोसेफ कबीला द्वारा दी गई थी। जिसके बदले कांगों में सड़कों और अस्पतालों के निर्माण पर चीनी कंपनियों ने सहमति जताई थी। उस दौरान का यह विकास योजना सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था। लेकिन लोगों को कहना है कि, चीन ने वादा किए गए कुछ बुनियादी ढांटा परियोजनाओं को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है।
कोरोना महामारी के दौरान चीन ने अफ्रीका के कई देशों में 33 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया था। यहां चीन की नजर अफ्रीका में तेल, गैस और खनिज के उत्पादक देशों में ही कई परियोजनाओं पर थी और ड्रैगन ने इन्हीं परियोजननाओं में निवश भी किया है।