अफगानिस्ता में जितनी तेजी से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई उतनी ही तेजी से तालिबान ने अफानिस्तान पर कब्जा कर लिया। तालिबान के आने के बाद अफगान लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और लोग देश छोड़ने के लिए मजबूर हैं। वहीं, तालिबानियों के लिए पंजशीर अब भी अभेद्य किला बना हुआ है। जब भी तालिबान हमला करने जा रहा है तो अपना ही नुकसान करवा कर आ रहा है। पंजशीर के लड़ाके तालिबानियों के छक्के छाड़ा दे रहे हैं। कई तालिबानियों को मौत के घाट उतार दिए हैं तो कई को बंधक बना लिया गया है। ऐसे में अब तालिबन पंजशीर के लोगों के सामने अपनी छूठी दुहाई देनी शुरू कर दी है और शांति का माला फेरने लगा है।
तालिबान जब-जब पंजशीर में घुसने की कोशिश कर रहा है उतनी बार उसे मुंह की खानी पड़ी रही है। अब ऐसा देखते हुए चरमपंथी संगठन लोगों को इस्लामिक राज की दुहाई देते हुए समर्थन की अपील कर रहा है और शांति का जाप लगा रहा है। अफगानिस्तान के प्रमुख टीवी चैनल टोलो न्यूज का कहना है कि, तालिबानी नेता आमिर खान मुताकी ने पंजशीर के लोगों को एक रिकॉर्ड किया हुआ संदेश भेजकर इस्लामिक अमीरात में शामिल होने की अपील की है। मुताकी के मुताबिक 'पंजशीर समस्या' के समाधान के लिए बीतचीत हुई है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। तालिबान नेता ने कहा कि पंजशीर में कुछ लोग (रिजिस्टन्स फोर्स) लड़ना चाहते हैं। उन्होंने पंजशीर के लोगों से उन्हें शांतिपूर्ण समाधान के लिए समझाने को कहा। बंदूक की के दम पर देश पर कब्जा करने वाले संगठन के नेता ने कहा कि तालिबान अभी भी शांति के साथ मुद्दे को सुलझाना चाहता है।
वैसे तालिबान को किसी गिरगिट से तूलना करना गलत नहीं होगा, क्योंकि जिस तरह गिरगिट रंग बदलता है उसी तरह तालिबान भी। क्योंकि, तालिबानी नेता का ये अपील ऐसे समय पर आया है जब आज यानी बुधवार को भी तालिबान और रिजिस्टनस फोर्ट के बीच में झड़प चल रही है। खबरों की माने तो पंजशीर प्रांत के जबल सराज, खवाक पंजशीर और बघलान प्रांत के अंदराब जिलों में तालिबान और रिजिस्टनस फोर्स के बीच गोलीबारी चल रही है। तालिबान ने मंगलवार की रात करीब 11 बजे हमला बोला, जिसके बाद से आज भी संघर्ष जारी है।
वहीं, ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मुहम्मद जोहिर अगबर ने कहा है कि तालिबान समूह पंजशी में प्रतिरोध मोर्चे के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के फिराक में नहीं है वह इसके नेता अहमद मसूद को मारने के फिराक में है। उन्होंने आगे कहा कि, तालिबान उनके साथ (पंजशीर में प्रतिरोध के नेता) कभी बातचीत नहीं करेगा। वे राजनेता नहीं हैं, बल्कि आतंकवादी हैं औऱ तीन साल पहले से ही कई देशों की संगठनों की सूची में हैं। वे ढीञ और आक्रामक हैं। उनका लक्ष्य पूरे अफगानिस्तान को अपने घुटनों पर लाना है। दोहा वार्ता में किसी भी शर्त से उनकी सहमती नहीं है। उनका लक्ष्य प्रतिरोध के नेताओं, खासकर अहमद मसूद को खत्म करना है।