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24 घंटे टोल-फ्री मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पुनर्वास हेल्पलाइन 'किरन' की शुरुआत

24 घंटे टोल-फ्री मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पुनर्वास हेल्पलाइन 'किरन' की शुरुआत

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सोमवार को वर्चुअल मोड वेबकास्ट के माध्यम से सातों दिन चौबीसों घंटे टोल-फ्री मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पुनर्वास हेल्पलाइन किरन- (1800-599-0019) की शुरूआत की। यह हेल्‍पलाइन मानसिक रूप से बीमार व्‍यक्तियों को राहत और मदद उपलब्‍ध कराएगी।

इस हेल्‍पलाइन को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्‍यांगताग्रस्‍त व्‍यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग ने विशेषरूप से कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ती हुई मानसिक बीमारी की घटनाओं को ध्‍यान में रखते हुए शुरू किया है। गहलोत ने इस हेल्पलाइन के बारे में पोस्टर, ब्रोशर और संसाधन पुस्तिका भी जारी की।

दिव्‍यांगताग्रस्‍त व्‍यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग की सचिव शकुंतला डी. गामलिन भी इस अवसर पर उपस्थित थीं। संयुक्‍त सचिव प्रबोध सेठ ने इस हेल्पलाइन के बारे में एक विस्तृत पीपीटी प्रस्तुत की।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि थावरचंद गहलोत ने कहा कि किरन हेल्पलाइन जल्‍दी जांच, प्राथमिक चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता, संकट प्रबंधन, मानसिक भलाई, सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देने, मनोवैज्ञानिक संकट प्रबंधन आदि के उद्देश्य से मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास सेवाएं उपलब्‍ध कराएगी।

गहलोत ने कहा कि इसका उद्देश्‍य तनाव, चिंता, अवसाद, डर के झटके, समायोजन विकार, पोस्ट-ट्रोमेटिक तनाव विकार, नशीले पदार्थों का सेवन, आत्मघाती विचार, महामारी से प्रेरित मनोवैज्ञानिक मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य की आपात स्थितियों का अनुभव करने वाले व्‍यक्तियों की सेवा करना है। यह पूरे देश में व्‍यक्तियों, परिवारों, गैर सरकारी संगठनों, मूल संघों, व्यावसायिक संघों, पुनर्वास संस्थानों, अस्पतालों और किसी भी जरूरतमंद व्‍यक्ति को 13 भाषाओं में पहले चरण की सलाह, परामर्श और संदर्भ उपलब्‍ध कराने वाली जीवन रेखा के रूप में काम करेगी।

उन्होंने उम्मीद जताई कि यह हेल्पलाइन मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों के लिए भी बहुत उपयोगी होगी। उन्‍होंने उम्‍मीद जाहिर की कि यह हेल्‍पलाइन बीमारी से ग्रस्‍त व्‍यक्तियों के परिवार के सदस्‍यों के लिए भी बहुत लाभकारी सिद्ध होगी।

यह टोल फ्री हेल्पलाइन सप्ताह के सभी दिन चौबीसों घंटे, बीएसएनएल के तकनीकी समन्वय के साथ संचालित होगी। आठ राष्ट्रीय संस्थानों सहित 25 संस्थान इस हेल्पलाइन में शामिल हैं। इसे 660 नैदानिक/पुनर्वास मनोवैज्ञानिकों और 668 मनोचिकित्सकों की सहायता प्राप्‍त है। इस हेल्पलाइन में 13 भाषाएं- हिंदी, असमिया, तमिल, मराठी, ओडिया, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, बंगाली, उर्दू और अंग्रेजी शामिल हैं।.