केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार संसद में 'सबसे कड़ा' तस्करी-रोधी विधेयक लाने के लिए तैयार है। ईरानी ने शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा आयोजित 'लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन' शिखर सम्मेलन में महिलाओं और बच्चों के संबंध में महामारी संकट पर भारत की प्रतिक्रिया के बारे में अपने विचार रखते हुए यह बात कही।
<blockquote>ईरानी ने कहा, "महिलाओं और सज्जनों, जैसा कि हम कहते हैं, हम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में वर्तमान में महिलाओं और बच्चों की तस्करी पर सबसे कठोर कानून संसद में पेश करने की कवायद कर रहे हैं।"</blockquote>
उन्होंने चाइल्ड पोर्नोग्राफी और बाल संरक्षण पर कानूनों को सूचीबद्ध किया, जो महामारी से पहले पारित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भारत के प्रत्येक जिले में एक तस्करी रोधी इकाई को मंजूरी दी है।
ईरानी ने कहा कि इसने वास्तव में बच्चों, महिलाओं और नागरिक समाज के नेताओं के के लिए चौबीसों घंटे हेल्पलाइन के लिए एक वन-स्टॉप क्राइसिस (संकट) केंद्र भी स्थापित किया है।
उन्होंने दुनियाभर में एक ऐसे एकजुट दृष्टिकोण का दृढ़ता से पालन करने का आग्रह किया, जहां उपभोक्ता यह सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील हों कि उत्पादों को बालश्रम मुक्त किया जाए।
इससे पहले शिखर सम्मेलन में एक रिपोर्ट पर भी गौर किया गया, जिसमें भारत के साथ ही विश्वभर में महामारी की वैश्विक प्रतिक्रिया को देखा गया। रिपोर्ट में पाया गया कि भारत के चार करोड़ से अधिक आंतरिक प्रवासी श्रमिकों को 'सरकारी सहायता प्रणालियों की गंभीर कमी' का खामियाजा भुगतना पड़ा।
<blockquote>
रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च से 31 मई के बीच महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा से संबंधित शिकायतों में तेजी आई है। इस रिपोर्ट में भारत के साथ ही अन्य गरीब देशों के हालात का भी जिक्र किया गया है।</blockquote>
रिपोर्ट में भारत सहित अधिकांश देशों में बेरोजगारी के लिहाज से लोगों की दुर्दशा को उजागर किया गया है।
रिपोर्ट में राष्ट्रव्यापी बंद के गंभीर आर्थिक परिणामों से लेकर दुनियाभर में गरीब और कमजोर वर्ग को होने वाली परेशानियों को उजागर किया गया है। इसमें बेरोजगारी, खाद्य आपूर्ति पर पड़ने वाले प्रभाव, स्कूल शिक्षा, बच्चों के खिलाफ बढ़ती हिंसा आदि को उजागर किया गया है।
इसके अलावा रिपोर्ट में महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों का भी जिक्र किया गया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर महामारी 2020 से भी आगे तक चलती है तो विश्व अर्थव्यवस्था 5.2 प्रतिशत तक संकुचित होगी। इसके साथ ही 40 करोड़ से अधिक लोगों के अत्यधिक गरीबी में जाने का भी खतरा रहता है।
यही नहीं, इसके कारण 34.7 करोड़ बच्चे अभी भी स्कूल बंद होने के कारण स्कूल फीडिंग प्रोग्राम्स तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और पांच साल से कम उम्र के 12 लाख से अधिक बच्चों के अगले छह महीने में कुपोषण से मरने का अनुमान है।.