चीन की सीमा से लगे लद्दाख के सभी इलाकों को हवाई मार्गों से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। केन्द्र सरकार द्वारा एयर कनेक्टिविटी की इस महत्वाकांक्षी योजना के मंजूरी मिलने के बाद इसी साल इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा जाएगा। इस योजना के तहत लेह और कारगिल में उन्नत तकनीक के 22 हेलीपैड और 6 हवाई पट्टियां बनाने का काम पूरा किया जाएगा।
लद्दाख इलाके की 6 घाटियों में 6 एयरस्ट्रिप बनेंगी, मौजूदा समय में केवल लेह और कारगिल में हवाई पट्टियां हैं। थोइस में हवाई पट्टी बनाने का काम शुरू हो चुका है, जबकि लद्दाख़ की तीन और घाटियों में भी जल्द ही हवाई पट्टियां बनाई जाएंगी।
इसके साथ ही लद्दाख़ इलाके में 22 उन्नत हेलीपैड बनाए जाएंगे, लेह में 7 हेलीपैड होंगे जबकि 15 हेलीपैड कारगिल में बनाये जाएंगे।
केन्द्र सरकार की योजना के मुताबिक मौजूदा समय में 8 हेलीपैड लद्दाख़ इलाके में हैं। लेह में 5 और 3 कारगिल में मेकशिफ्ट हेलीपैड हैं, उनका आधुनिकरण किया जाएगा। साथ ही 14 नए हेलीपैड बनाए जाएंगे जिसमें से 2 लेह में और 12 कारगिल में बनाए जाएंगे।
ज्यादातर बननेवाले नए हेलीपैड भारत-चीन सीमा के पास हैं। इनका मकसद है कि वहां की जनता को और स्थानीय प्रशासन को किसी आपातकाल में जरूरत पड़ती है तो तुरंत हेलीकाप्टरों के जरिए उसे पूरा किया जा सके। जिन महत्वपूर्ण इलाकों में हेलीपैड बनाए जाएंगे, वो हैं डेमचोक, लिंगशेक, चुशूल।
सूत्रों के मुताबिक दरसल चीन की सीमा से सटे इन इलाकों के उस पार चीनी सीमा में लगातार चीनी सैनिक बाइक पैट्रोलिंग करते हैं और अक्सर भारतीय इलाकों में विकास कार्य भी रोकने की कोशिश करते हैं। इन हेलीपैड के बन जाने से स्थानीय प्रशासन को उम्मीद है कि इस अवरोध का जवाब कठोर तरीके से उसी अंदाज में दिया जाएगा।
साथ ही किसी भी आपातकालीन जरूरत जैसे प्राकृतिक आपदा या स्थानीय नागरिकों की मेडिकल इमरजेंसी को पूरा करने के लिए ये हेलीपैड बेहद अहम कड़ी साबित होंगे।.