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चीन ने पड़ोसी लाओस को भी नहीं बख्शा, पावर ग्रिड हड़पा, नेपाल की घिग्घी बंधी

चीन ने पड़ोसी लाओस को भी नहीं बख्शा, पावर ग्रिड हड़पा, नेपाल की घिग्घी बंधी

चीन के कथित सस्ते कर्ज के जाल में एक और देश फंस गया। चीन के इस शिकार देश का नाम लाओस है। लाओस चीन का पड़ोसी है। चीन की सरकारी कंपनियों ने पड़ोसी लाओस से कर्ज वापसी न होने पर उसके पावर ग्रिड को हड़प लिया है। इससे पहले जिबूती और श्रीलंका में भी चीन ऐसे ही हरकत कर चुका है। कर्ज वापसी में देरी होने पर चीन ने श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट पर कब्जा कर लिया। लाओस का पावर ग्रिड हड़पे जाने से नेपाल की घिग्घी बंध गयी है। हालांकि, नेपाल की ओली सरकार ने प्रत्यक्ष तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन नेपाल के थिंक टैंक ने पीएम ओली को चीन के डेब्ट ट्रैप से बचने की सलाह दी है।

हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सरकार और उसकी कंपनियों ने 150 से ज्यादा देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर यानी 112 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का लोन भी दिया है। चीन के डेब्ट ट्रैप में फंसने वाले देशों में श्रीलंका, जिबूती और लाओस के अलावा पापुआ न्यू गिनी, किर्गिस्तान, वेनेतुएला, ताजिकिस्तान, अंगोला और मंगोलिया हैं।

फिल्हाल चीन अपने पड़ोसी देश लाओस में 6 बिलियन डॉलर की लागत से हाईस्पीड रेल कॉरिडोर को बनाने पर काम कर रहा है। इस ट्रैक पर पहली ट्रेन 2 दिसंबर, 2021 को लाओ राष्ट्रीय दिवस पर राजधानी वियनतियाने आने वाली है। इसी तारीख को 1975 में यह देश कम्युनिस्ट शासन के अंतर्गत आया था। हाल की रिपोर्टों से पता चला है कि लाओस चीन की महत्वकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का नया शिकार बना है।

शुरूआत में चीन ने इन देश को बड़े पैमाने पर लोन दिया, लेकिन जब वहां की सरकार से उसके रिश्ते खराब होने शुरू हुए तो वह अब लोन को चुकाने के लिए जबाव बना रहा है। इस कारण सालाना बकाया कर्ज भुगतान की तुलना में लाओस का विदेशी मुद्रा भंडार 1 बिलियन डॉलर से भी नीचे पहुंच गया है। लाओस के सामने अब लोन डिफॉल्टर होने का खतरा मडरा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, लाओस ने अपने सबसे बड़े कर्जदाता चीन से कुछ और समयसीमा की मांग की है।.