आज 26 नवंबर 2021 को मुंबई में एक सीरीज में हुए कई ब्लास्ट के 13 साल पूरे हो रहे हैं। 13 साल पहले आज ही के दिन मुंबई को 10 आतंकवादियों ने अपनी गोलियों से छल्ली कर दिया था। स्टेशन, होटल, कैफे, अस्पताल ऐसी कोई जगह नहीं बची थी, जहां आतंकवादियों ने खून की होली न खेली हो। देखते ही देखते पल भर में इन आतंकियों ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली। इसमें 174 लोगों की जान गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए लेकिन इन्हें आज भी न्याय नहीं मिल सका। क्योंकि, 13 साल बाद भी पाकिस्तान ने अपनी ईमानदारी नहीं दिखाई और 7 नवंबर को पाकिस्तानी अदालत ने छह आतंकवादियों को रिहा कर दिया जिसमें हाफिज सईद के आदेशों पर इन हमलों में शामिल रहे जकीउर-रहमान-लखवी को भी रिहा कर दिया गया है।
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मुंबई हमले की पूरी दुनिया ने निंदा की थी। इस हमले के बाद ऐसा पहली बार हुआ था जब वैश्विक स्तर पर इतने बड़े पैमाने पर निंदा की गई थी और इस हमले ने ही केंद्र सरकार को अपने आतंकवाद विरोधी अभियानों को गंभीर रूप से बढ़ाने और पाकिस्तान के साथ पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के कई पहलुओं की फिर से जांच करने के लिए प्रेरित किया।
मुंबई के ताजमहल पैलेस होटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस समेत अन्य जगहों पर हमले हुए। इन ब्लास्ट के बाद इकलौता जिंदा पकड़ा गया आतंकी हमले को लेकर कई अहम खुलासे किए। अजमल कसाब नाम ने पुष्टि की कि इस हमले की योजना की पूरी प्लानिंग लश्कर और पाकिस्तान में मौजूद दूसरे आतंकी संगठनों ने की थी। देश की खुफियां एंजेसियों ने कसाब के जरिए पता किया कि सभी हमलावर पाकिस्तान से आए थे और उन्हें कंट्रोल करने वाले लोग भी वहीं से काम कर रहे थे।
हमले के करीब दस साल बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सनसनीखेज खुलासे की एक सीरीज में संकेत दिया था कि, 2008 के मुंबई हमलों में इस्लामाबाद ने एक भूमिका निभाई थी। इस वक्त मौजूद सबूत भी बतात हैं कि 26/11 के हमलों में पाकिस्तान के स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म का हाथ था। ये तीन आतंकवादियों, अजमल कसाब, डेविड हेडली और जबीउद्दीन अंसारी की पूछताछ में साबित हुआ है।
अपनी सार्वजनिक तौर पर स्वीकृति के साथ ही भारत के शेयर किए गए सभी सबूतों के मौजूद होने के बाद भी 26/11 की 13वीं बरसी पर भी पीड़ितों को न्याय दिलाने में पाकिस्तान ने ईमानदारी नहीं दिखाई है। पाकिस्तान की अदालत ने 7 नवंबर को छह आतंकवादियों को रिहा कर दिया, जिसमें हाफिज सईद का गुर्गा भी इन भयानक हमलों में शामिल था। लक्शर-ए-तैयबा कमांडर और 2008 के मुंबई हमलों के सरगना जकी-उर-रहमान लखवी भी देश के पंजाब प्रांत के आंतकवाद-रोधी विभाग (सीटीडी) द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, हालांकि वो 2015 के बाद से जमानत पर था।
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आतंकवादियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान दुनिया के सामने तो यह दिखाता है कि वह इनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है लेकिन असल में पाकिस्तान इन आतंकियों को खुलेआम अपनी देश की सड़कों पर घूमने की आजादी देता है। यहां तक की पाकिस्तान की सत्ता में इन आतंकियों का काफी अहम रोल होता है। पाकिस्तान कितना आतंकियों के खिलाफ शख्त है वो इससे ही साबित हो जाता है कि, इस साल अप्रैल में न्यूयॉर्क स्थित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्ट-अप ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान ने चुपचाप अपनी आतंकी निगरानी सूची से लगभग 4,000 आतंकवादियों के नाम हटा दिए हैं। हटाए गए नामों में लश्कर नेता और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जाकिर उर रहमान लखवी और कई अन्य शामिल है।