पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इन दिनों इतनी चरमराई हुई है कि देश चलाने के लिए अब इमरान खान सरकार के पास पैसे नहीं बचे हैं। महंगाई अपने चरम पर है, हर चीज के दाम बढ़े हुए हैं। देश कर्ज के बोझ के तले दबा हुआ है और ना ही अब कोई देश कर्ज देने के लिए राजी है। वैसे भी पाकिस्तान को FATF ने आतंकियों को बढ़ावा देने के मामले में अपने ब्लैकलिस्ट में बरकरार रखा है जिसके बाद विदेशी बैंको से कर्ज नहीं ले सकता। अब इमरान खान ने खुद हार मानते हुए कहा है कि, यहां कानून का राज नहीं है। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान के संसाधनों पर खास लोगों ने कब्जा कर दिया है।
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इमरान खान का कहना है कि, देश का विकास नहीं होने का मुख्य कारण कानून के शासन की अनुपस्थिति है। अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि, परेशानी ये है कि कुलीन वर्ग ने संसाधनों पर कब्जा कर लिया है, जिसने बड़ी आबादी को उचित स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और न्याय से वंचित कर दिया है। कानून का राज नहीं होने से पाकिस्तान उस ऊंचाई पर नहीं पहुंच पाया है, जहां उसे होना चाहिए था। कोई भी समाज तब तक अपनी क्षमता को हासिल नहीं कर सकता, जब तक कानून का शासन ना हो। और विकाशील देशों में सबसे बड़ी समस्या यही है कि अमीरों और गरीबों के लिए अलग-अलग कानून हैं।
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इसका साथ ही उन्होंने कहा कि, मेरिट भी कानून के शासन से जुड़ी है। अगर आपके समाज में अभिजात वर्ग (Pakistan Elite Class) है, जो अमीर है और संघर्ष नहीं करता है, और वह मुख्य पदों पर बैठते हैं तो देश इसी वर्ग के कारण बिखर जाता है। इसके आग पाक पीएम ने कहा कि, वह पैगंबर द्वारा मदीना राज्य की अवधारणा के आधार पर पाकिस्तान को एक इस्लामी कल्याणकारी देश बनाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि देश दो सिद्धांतों पर आधारित हो। एक कल्याणकारी और मानवीय आधार हो। जो अपने समाज के निचले तबके की देखभाल करता हो और दूसरा कानून का शासन हो।