राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उनका सपना है कि वह जम्मू-कश्मीर को ज्ञान, नवाचार, कौशल विकास और उद्यमिता केंद्र के रूप में उभरता हुआ देखें। रविवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित एक सम्मेलन को राष्ट्रपति ने वीडियो कॉन्फ्रेंस संदेश के जरिए संबोधित करते हुए यह बात कही जिसमें जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल, विश्वविद्यालयों के उपकुलपति, कॉलेजों के प्रधानाचार्य और अन्य लोग भी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने क्षेत्र के शैक्षिक वातावरण की प्रशंसा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के जरिए धरती के स्वर्ग जम्मू-कश्मीर को ज्ञान और नवाचार का केंद्र बनाए जाने की आवश्यकता है। जम्मू कश्मीर पर उस लोकप्रिय दोहे, जिसमें मध्य कालीन जम्मू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा गया है, का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को फिर से पृथ्वी का स्वर्ग और भारत माता के मुकुट का रत्न बनाए जाने के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
शिक्षा के क्षेत्र में जम्मू कश्मीर की समृद्ध परंपरा का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू कश्मीर सदियों से साहित्य और सीखने का केंद्र रहा है। कल्हण की राजतरंगिणी<strong> </strong>और बौद्ध धर्म के महायान शाखा के उद्धरणों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के इतिहास के सांस्कृतिक पहलू का जब भी उल्लेख होगा, इनके बिना वह अधूरा रहेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व का फिर से उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की जनसंख्या की विविधता अद्वितीय है, लेकिन यह सच्चे अर्थों में सार्थक तभी होगी जब जनसंख्या का बड़ा युवा वर्ग कुशल होगा, व्यवसायिक रूप से सक्षम होगा और सबसे महत्वपूर्ण कि सच्चे अर्थों में वह शैक्षिक होगा। जम्मू कश्मीर के बच्चों पर विश्वास व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू कश्मीर मेधावी, कुशल और नवोन्मेशी बच्चों का गढ़ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के बाद राज्य में ऊर्जा से भरे मस्तिष्क वाले छात्रों का सृजन होगा।
मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर देते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि हम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को तभी संरक्षित कर सकते हैं जब शिक्षा की परंपरा हमारी अपनी मातृभाषा में होगी। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति के अंतर्गत त्रिभाषी सिद्धांत इसमें समायोजित किए गए हैं, इससे बहुभाषावाद को प्रोत्साहन मिलेगा साथ ही साथ राष्ट्रीय एकता और अखंडता में भाषा के माध्यम से मदद मिलेगी। साथ ही साथ यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि इस नीति के तहत किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पर भाषा थोपी नहीं जाएगी।
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राष्ट्रपति कोविंद ने शिक्षा नीति के तत्वों का जिक्र किया जिसके अंतर्गत नई शिक्षा नीति से शिक्षा की सुलभता, समानता, जवाबदेही, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास को प्रोत्साहन तथा अनुभव आधारित शिक्षण एवं तार्किक विचार विमर्श का वातावरण तैयार होगा। आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में व्यवसायिक शिक्षा को शामिल किया गया है जिससे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।.