प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब में एक रैली में जाने के दौरान जो सुरक्षा चूक हुई उसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस सरकार अपने विफलता को मानने के बजाय उलटा सवाल कर रही है। लेकिन असल में सच यह है कि ये पंजाब सरकार की बहुत बड़ी लापरवाही है। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई साजिश रची गई हो। क्योंकि, पंजाब सरकार को तो इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने पहले ही सावधान रहने के लिए कहा था। पीएम मोदी की रैली को लेकर आईबी ने पंजाब सरकार को इनपुट दिया था इसके साथ ही कट्टरपंथियों के भी प्रदर्शन की आशंका जताई थी।
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आईबी ने कहा था कि हुसैनीवाला किसान संगठनों का गढ़ है और वहां गुजरते वक्त कुछ मुश्किलें हो सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया था, संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा रहे संगठन भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी और सतनाम सिंह पन्नू के संगठन केएमएससी ने पहले ही ऐलान कर रखा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे में वह उनका घेराव करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं आईबी ने रिपोर्य में यह भी कहा है कि, किसान संगठन अब भी पीएम मोदी के खिलाफ हैं। यही नहीं कट्टरपंथी सिख संगठनों को लेकर भी आईबी ने पंजाब सरकार को चेतावनी दी थी। आईबी ने कहा था कि ये कट्टरपंथी संगठन अकसर सिख कैदियों को जेल से रिहा करने की मांग करते रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर वह कई बार सरकार को ज्ञापन दे चुके हैं और प्रदर्शन भी किए हैं। ऐसे में कट्टरपंथी सिख संगठनों के प्रदर्शन से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
इसके अलावा IB ने पंजाब सरकार को इस बात को लेकर भी सतर्क रहने के लिए कहा था कि पीएम मोदी के आयोजित रैली का स्थान पाकिस्तान की सीमा से काफी करीब है। आईबी ने चेताया था कि खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस का नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू स्थानीय युवाओं को पैसे देकर लुभाने की कोशिशें कर रहा है।
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बता दें कि, केंद्रीय गृह मंत्रालय को पंजाब सरकार ने पीएम की सुरक्षा में चूक की रिपोर्ट भेजी दी है। जिसमें कहा है कि, आंदोलनकारी किसान अचानक ही रास्ते में आ गए थे, लेकिन एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा दो सदस्यीय पैनल का भी गठन किया गया है, जिससे तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है।