कोरोना का स्वरूप ओमिक्रॉन के भी कई रुप है, जो अब दिखने लगे है। ओमिक्रॉन बीए.1, बीए.2 और बीए.3 हैं, इनमें से ओमिक्रॉन का 'बीए.2' पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से फैल रहा है। फ्रांस, डेनमार्क और भारत सहित 40 देशों में पहुंच चुका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन के मुकाबले बीए.2 अधिक संक्रामक है। जल्द ही बीए.2 सब-वेरिएंट पूरी दुनिया में ओमिक्रॉन के मूल स्वरूप की जगह ले सकता है। स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे वैरिएंट अंडर इंवेस्टिगेशन श्रेणी में रखा है। इसके बारे में रिसर्च की जा रही है।
दुनियाभर में बीए.2 के करीब आठ हजार मामले सामने आए हैं। ब्रिटेन ने अब तक इसके 426 मामले देखें गए है। भारत और फिलीपींस में इससे संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लेकिन सबसे ज्यादा इसे डेनमार्क में पाया गया है, जहां जनवरी के दूसरे हफ्ते में 45 फीसदी मामले ओमिक्रॉन बीए.2 के होने की आशंका है। वैज्ञानिकों की टीम वायरस के नए स्वरूप पर नजर बनाए हुए है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ओमिक्रॉन बीए.2 में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को तोड़ने की क्षमता भी ज्यादा हो सकती है। इसीलिए इसके तेजी से फैलने की आशंका है।
ब्रिटेन ने अब तक इसके 426 मामले सिक्वेंसिंग के जरिए पहचाने हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि ओमिक्रोन के तीन स्वरूप बीए.1, बीए.2 और बीए.3 है। हालांकि बीए.2 स्वरूप तेजी से ओमिक्रॉन के मूल स्ट्रेन की जगह लेता दिख रहा है। ये पता लगाना संभव नहीं है कि इस रूप की उत्पत्ति कहां से हुई। भविष्य में वायरस का ये वेरिएंट कितना घातक या महामारी के दौर में कितना आक्रामक हो सकता है। अच्छी बात यह है कि बीए.2 की पहचान आसान होगी क्योंकि इसमें स्पाइक-एस जीन नहीं होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीनोम सिक्वेंसिंग के बजाए आरटी-पीसीआर जांच से ही इसकी पहचान हो सकती है। आपको बता दें कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को पहचानने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग का सहारा लेना पड़ रहा है।