यूक्रेन और रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पर तीन बार वोटिंग हो चुकी है। पर भारत ने वोटिंग में हिस्सा लेने से मना कर दिया। जिसके चलते अमेरिका तिलमिला उठा। अमेरिकी संसद में पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने एक सुर में भारत के उन 35 देशों में शामिल होने पर आपत्ति जताई जिन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अब फैसला करेंगे कि रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर भारत पर सीएएटीएसए कानून के तहत प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं?
आपको बता दें कि काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट के तहत अमेरिकी प्रशासन के पास ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का अधिकार है। सीएएटीएसए एक सख्त अमेरिकी कानून है, जो 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में व्लादिमीर पुतिन के कथित हस्तक्षेप के जवाब में वॉशिंगटन को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकृत करता है, जो मॉस्को से प्रमुख रक्षा साजो-सामान की खरीदारी करते हैं।
भारत के खिलाफ संभावित सीएएटीएसए प्रतिबंधों से जुड़े एक सवाल पर दक्षिण एवं मध्य एशिया में अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने सीनेट की निकट पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और आतंकवाद निरोधी मामलों की विदेशी संबंध उपसमिति के सदस्यों को बताया कि नई दिल्ली पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं, इस पर फैसला राष्ट्रपति जो बाइडन लेंगे। गौरतलब है कि भारत 2016 से ही रूस का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बना हुआ है। भारत ने हाल ही में रूसी मिग-29 विमानों, हेलिकॉप्टरों और एंटी-टैंक हथियारों की खरीद रद्द कर दी है। अगर नए सिरे से पाबंदियां लगाई गईं तो दूसरे देश भी भारत की राह पर बढ़ेंगे।