गलवान वैली में जब चीन घुसपैठ किया था और भारतीय जवानों से उलझा था तब उसे अंदाजा नहीं था कि भारतीय जवान उसे इस तरह धूल चटाएंगे कि उसका सारा घमंड ही चकनाचूर हो जाएगा। ड्रैगन इस गलतफहमी में था की पहले की तरह वो इस बार भी घुसपैठ कर लेगा और भारत सरकार छुप बैठी रहेगी। लेकिन उसे ये करने से पहले एक बार नए भारत के ताकत अंदाजा लगा लेना चाहिए कैसे उसके दोस्त पाकिस्तान के घर में घुसकर पुलवामा और उरी अटैक का जवाब दिया था। चीन दुनिया के साथ अपने नागरिकों से छूठ बोलता रहा है गलवान में हुए खूनी संघर्श में भारत के 20 जवान शहीद हुए हैं और उसको अधिक नुकसान नहीं हुआ। जबकि, चीन के 40 सैनिक से भी ज्यादे मारे गए थे। अब चीन भारत के साथ 15वें दौर की बातचीत करने की बात कह रहा है।
लद्दाख को लेकर दोनों देशों के बीच 14 दौरे की बादचीत हो चुकी है और हर बार चीन ने ही धोखा दिया है। अब एक बार फिर से भारत संग 15वें दौर की उम्मीद जताई है। चीन ने उम्मीद जताई है कि दोनों पड़ोसी देश एक 'कदम और आगे' बढ़ा सकते हैं और पूर्वी लद्दाख में शेष विवाद वाले क्षेत्रों पर दोनों पक्ष स्वीकार्य 'उचित समजौता' कर सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने 11 मार्च को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 15वें दौर की पुष्टि करते हुए बुधवार को यहां एक प्रेस वार्ता में कहा, बातचीत के अंतिम दौर में, दोनों पक्षों ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र पर शेष मुद्दे को हल करने पर विचारों का गहराई से आदान-प्रदान किया था। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि आगामी दौर की वार्ता में दोनों पक्ष सीमा मुद्दे पर एक और कदम आगे बढ़ा सकते हैं। हमें उम्मीद है कि हम विवादों का उचित समाधान ढूंढ सकते हैं और एक ऐसे समाधान पर पहुंच सकते हैं जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो।
अब तक की बातचीत से पैंगोंग सो (झील) के उत्तर और दक्षिण किनारों, गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान हुआ है। हालांकि, इस साल 12 जनवरी को हुई बातचीत के 14वें दौर में कोई नई सफलता नहीं मिली। 22 महीने से जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों ओर की शीर्ष अधिकारी शुक्रवार को लद्दाख में चुशुल मोल्दो में अगले दौर की बैठक करेंगे।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि, उनके देश और भारत को पिछले कुछ साल में द्विपक्षीय संबंधों में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। सीमा संबंधी मतभेदों पर समान स्तर से वार्ता होनी चाहिए ताकि एक निष्पक्ष और उचित हल निकल सके। इसके आगे उन्होंने कहा कि, हाल के वर्षों में चीन-भारत संबंधों में कुछ झटके दोनों देशों के मौलिक हितों में नहीं हैं।