उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में दूसरी बार सीएम चुने जाने के साथ ही कई इतिहास रच दिए हैं। योगी सरकार के बाद से राज्य में गुंडागर्दी और बहुबलियों का वर्चस्व कम हुआ है। अब तो आलम यह है कि माफिया खुद पुलिस स्टेशन जाकर अपना जुर्म कबुल कर रहे हैं। सीएम पद की शपथ लेते हुए योगी आदित्यनाथ ऐक्शन में आ गए हैं और इस बार उन्होंने भ्रष्टाचारियों पर एक्शन लिया है।
योगी सरकार ने राज्य में भ्रष्टाचार को लेकर घिरे अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसका नतिजा गुरुवार को देखने को मिला। सीएम योगी ने एक आईएएस और एक आईपीएस अफसर को सस्पेंड कर दिया है। दोनों अफसरों पर भ्रटाचार के आरोप लगे हैं। दोनों अफसरों की शिकायतें विधानसभा चुनाव से पहले भी हो चुकी हैं। सीएम योगी की इस कार्रवाई से यूपी के अन्य अफसरों में हड़कंप मचा है।
यूपी के लापरवाह और आपराधिक प्रवृत्ति वाले अफसरों के खिलाफ सीएम योगी एक्शन में आ गए हैं। गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार और अन्य आपराधिक मामलों के दोस्ती दो अफसरों पर गाज गिरा दी है। सीएम योगी ने सोनभद्र के डीएम टीके शिबू और गाजियाबाद के एसएसपी पवन कुमार को तुरंत सस्पेंड कर दिया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने गुरुवार को बताया कि यूपी सरकार ने सोनभद्र के जिलाधिकारी टी के शिबू और एसएसपी गाजियाबाद पवन कुमार को सस्पेंड कर दिया है। उन्होंने बताया कि दोनों अफसरों पर जनता से जुड़े कार्यों में कथित लापरवाही बरतने और अपराध नियंत्रण नहीं कर पाने के आरोप लगे थे। सोनभद्र डीएम टीके शिबू पर के खिलाफ विधानसभा चुनाव से पहले भी लापरवाही के आरोप लग चुके हैं।
इस ऐक्शन के बाद अन्य विभाग के अफसरों में हड़कंप मच गया है। अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी दावार जारी सस्पेंड आदेश में कहा गया है कि…
-शिबू के विरुद्ध खनन, जिला खनिज न्यास समिति तथा अन्य निर्माण कार्यों में जनप्रतिनिधियों द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायतें से संबंधित तथ्य शासन के संज्ञान में आए हैं। वहीं, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी शिबू द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में गंभीर लापरवाही बरतने का भी मामला सामने आया था। इन शिकायतों की मिर्जापुर मंडल के आयुक्त द्वारा की गई चांज में शिबू कोप्रथम दृष्टया दोशी पाए जाने के आधार पर उन्हें सस्पेंड किया गया है।
निलंबन आदेश में कहा गया है कि शिबू के उक्त कृत्य अखिल भारतीय सेवाएं (आचरण) नियमावली 1968 के नियम 3 का उल्लंघन हैं। अत: इन तथ्य एवं परिस्थितियों पर सम्यक विचार करते हुए राज्यपाल ने शिबू को निलंबित कर उक्त नियमावली के तहत उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के आदेश दिए हैं। इसके तहत शुरू की जाने वाली विभागीय कार्रवाई के लिए वाराणसी मंडल के आयुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। निलंबन की अवधि में शिबू को लखनऊ स्थित कार्यालय, राजस्व परिषद से संबद्ध रहने और बिना लिखित अनुमति प्राप्त किये राज्य मुख्यालय नहीं छोड़ने को कहा गया है।