पाकिस्तान में ताकतवर सेना और सरकार के मुखर आलोचक पत्रकार मतिउल्लाह जान के अपहरण की सरकार द्वारा पुष्टि होने के बाद मंगलवार देर रात को उसे रिहा कर दिया गया।
51 वर्षीय मतिउल्लाह जान की पत्नी कनीज सुघरा ने बताया कि उनके पति का राजधानी इस्लामाबाद में एक स्कूल के बाहर से अपहरण कर लिया गया, जहां वह काम करती हैं।
स्कूल के सुरक्षा कैमरे की फुटेज में दिखाया गया है कि अपनी पत्नी को वापस लेने के लिए पहुंचे जान को पांच वाहनों में आए लोग एक कार में डालकर ले गए। पांच वाहनों में से एक पुलिस के निशान वाली गाड़ी और दूसरी एक एम्बुलेंस थी। उन्हें लगभग 12 घंटे की कैद के बाद राजधानी के बाहरी इलाके में छोड़ दिया गया।
मिलिट्री के पब्लिक रिलेशन विंग ने जान के कथित अपहरण पर टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया। जबकि सूचना मंत्री शिबली फराज ने कहा, "यह स्पष्ट है कि उनका अपहरण कर लिया गया है।" फराज ने कहा कि अपहरण के पीछे कौन हो सकता है, सरकार यह पता लगाने के लिए सभी प्रयास करेगी।
जान की रिहाई की मांग करने वाली पत्रकारों की सुरक्षा समिति ने कहा कि वह उन पत्रकारों में शामिल हैं, जिन पर 2018 में सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी टिप्पणी साझा करने का आरोप लगाया गया था।
2018 के आम चुनाव के दौरान सेना पर हस्तक्षेप का आरोप लगाने के कारण नौकरी से हटा दिये गये हजारों पत्रकारों और मीडियाकर्मियों में से जान भी एक हैं। सेना के जनरलों के राजनीति में हस्तक्षेप की आलोचना करने के बाद पिछले साल उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था। सेना ऐसे किसी भी आरोप से इनकार करती है।
पाकिस्तान में सेना की आलोचना करने वाले कई पत्रकारों और ब्लॉगर्स का भी अपहरण कर लिया गया था और ठीक इसी तरीके से मुक्त किया गया था। जिनमें टिप्पणीकार गुल बुखारी भी शामिल थे। उनकी हिरासत के लिए सेना की खुफिया शाखा इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) को दोषी ठहराया गया था। तब पाकिस्तानी सेना ने बुखारी के अपहरण में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था। बुखारी और जान दोनों सैन्य परिवारों से आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जजों की आलोचना वाले ट्विटर पोस्ट के लिए जान कोर्ट के अवमानना मामले का सामना कर रहे थे और वह बुधवार को अदालत में पेश होने वाले थे। उनकी पत्नी सुघरा ने कहा कि उनके पति को गिरफ्तारी की आशंका थी लेकिन अपहरण की उम्मीद नहीं थी।.