जरा सोचें, अगर किसी स्कूल में बच्चों को पढ़ा-लिखा काबिल इंसान बनाने के बजाए आतंकी बनाया जा रहा हो तो आपको कैसा लगेगा? आप स्कूल के टीचर्स के साथ कैसा व्यवहार करना चाहेंगे? क्या कोई मां-बाप ऐसे स्कूल में अपने बच्चों को भेजना चाहेगा? (हरगिज नहीं)
बहरहाल, दक्षिण कश्मीर के शोपियाँ जिले में सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन) से संबद्ध स्कूल (मदरसे) के तीन टीचर्स (उलेमा) को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया। इन तीनों टीचर्स पर 13 स्टूडेंट्स को रेडिक्लाईज करने और भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में धकेलने का आरोप है।
इस मदरसे का नाम सिराज-उल-उलूम है। इसे कश्मीर के बड़े मदरसों में गिना जाता है। बीते कुछ समय से यह हिंसक घटनाओं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के सिलसिले में किसी न किसी तरीके से सुर्खियों में था। पुलिस की नजर भी इस पर काफी दिनों से थी। इसके तार प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े बताए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त पुलवामा में शामिल आतंकी सज्जाद भट्ट भी इसी मदरसे का छात्र रह चुका है।
कश्मीर रेंज के आईजी विजय कुमार का कहना है कि पुलिस की काफी समय से इस स्कूल पर नजर थी। अब पुलिस की तरफ से कानूनी कार्रवाई के तहत तीन अध्यापकों पर मामला दर्ज किया गया है। इन तीनों टीचर्स की पहचान अब्दुल अहाद भट्ट, रौफ भट्ट और मोहम्मद यूसुफ वानी के रूप में हुई है। आईजी विजय कुमार ने इन तीन टीचर्स के अलावा लगभग आधा दर्जन टीचर्स पर पुलिस की निगरानी लगी हुई है। आवश्यकता हुई तो स्कूल के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई होगी।
स्कूल के संस्थापक मोहम्मद यूसुफ माटू ने कहना है, किसी को आतंकी बनाने में हमारी इसमें कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने पुलिस को स्कूल के ऊपर लगे आरोपों को सिद्ध करने की चुनौती दी है। वो कहते हैं कि हमारा संस्थान जम्मू कश्मीर सरकार से संबद्ध है यहाँ एनसीआरटी का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। यह ओरियंटल कॉलेज कश्मीर यूनिवर्सिटी से जुड़ा है। हम हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं।
वहीं पुलिस का कहना है कि इसी स्कूल के एक दर्जन से ज्यादा स्टूडेंट्स आतंकवादी बने हैं। इनमें से कुछ सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। सिराज-उल-उलूस में कुलगाम, पुलवामा और अनतंनाग समेत पूरे प्रदेश से छात्र पढ़ने आते हैं। उत्तर प्रदेश, केरल और तेलंगाना के छात्र भी यहाँ पढ़ने आते हैं।.