भारत इस वक्त हर एक क्षेत्र में काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज दुनिया भारत के साथ जुड़ना चाहती है। हर एक क्षेत्र में भारत संग जुड़कर अपने रिश्तों को मजबुत करना चाहती है। इशरो अब चंद्रमा और मंगल पर मिशन भेजने के बाद शुक्र की कक्षा में भेजने के लिए एक अंतरिक्षयान तैयार कर रहा है। इशरो दिसंबर 2024 में शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए शुक्रयान-1 भेजेगा। इशरो यह पता लगाएगा कि सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की सतह के नीचे क्या है और इसे घेरे सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों के नीचे का रहस्य क्या है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 'वीनसियन साइंस' पर एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि शुक्र मिशन की परिकल्पना की गई है और परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि, जरूरी फंड भी जुटा लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि,मिशन को प्रभावशाली बनाने के लिए वैज्ञानिकों से आग्राह किया है। बता दें कि, भारत ने 2017 में शुक्रयान-1 मिशन की जानकारी दी थी। वहीं, एस सोमानथ ने वैज्ञानिकों से कहा है कि, वे शुक्र पर भेजे पुराने मिशन के प्रयोग को दोहराने से बचें। नए लक्ष्य चंद्रयान-1 और मार्स ऑर्बिटर मिशन की तरह प्रभावी परिणाम व पहचान देने वाले होने चाहिए। शुक्री की सतह पर कई प्रक्रियाएं, ऊंचाई व गहराई, सक्रिय ज्वालामुखी विस्पोट, इनसे बहता लावा, ग्रह की संरचना, वातावरण, सौर तूफानों का असर नए प्रयोगों के विषय होने चाहिए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मिशन के लिए साल 2024 इसलिए चुनने की एक वजह है। दरअसल, पृथ्वी से शुक्र औसतन 4.10 करोड़ किमी दूर है, सूर्य की परिक्रमा में यह दूरी बढ़ती-घटती रहती है। दिसंबर 2024 में शुक्र धरती के बेहद निकट होगा। इससे अंतरिक्ष यान के लिए सबसे छोटा परिक्रमा पथ तय करना संभव होगा। अगली बार ऐसा मौका 2031 में आएगा। शुक्र सौरमंडल का सबसे रहस्यमयी ग्राह है। इसे सल्फर के बादलों ने ढका हुआ है, तो सतह पर ज्वालामुखी व लावा है। इसके बादलों में कई राज छुपे हो सकते हैं। इन्हीं में सितंबर 2020 में वैज्ञानिकों ने फास्फीन गैस मिलने का दावा किया था। ये गैस सूक्ष्म-जीव भी बनाते हैं। भारतीय मिशन पृथ्वी के बाहर जीवन की पुष्टि में अहम रोल निभा सकता है।
बता दें कि, शुक्र या इस ग्रह की ओर अब तक 46 मिशन भेज जा चुके हैं। सोवियत रूस ने 29 मिशन भेजे जिसमें से 15 सफल रहे, अमेरिका ने 11 भेजे जिसमें से 10 सफल हुए, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 3 भेजे और ये तीनों सफल रहे, जापान ने 3 भेजे जिसमें से 2 मिशन सफल रहे।