ताजमहल के तहखाने को लेकर इन दिनों जमकर धमसान जारी है। लेकिन, फिलहाल के लिए तहखाने के कमरों को खोलने की हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई टल गई है, लेकिन यह विवाद गहरा गया है, साथ ही उन कमरों का रहस्य भी। 1632में ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था, जो 20साल में पूरा हो पाया। वहीं ताजमहल के बनने के तुरंत बाद ही इसकी मरम्मत वर्ष 1652से शुरू हो गई।
पहली बार ताजमहल की इमारत में संरक्षण के जो कुछ भी काम किये गए उनका पहला ब्योरा औरंगजेब का वह पत्र है, जो वर्ष 1652में शहंशाह शाहजहां को लिखा गया था। इसी पत्र को आधार बनाते हुए ताजमहल को राजा परमर्दिदेव का महल बताया जाता है। औरंगजेब के इस पत्र से ही ताजमहल के निर्माण को लेकर रहस्य गहराया और विवाद भी शुरू हो गया।
वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक डॉ. डी दयालन ने अपनी किताब में लिखा है, मुहर्रम की तीसरी तारीख को 4दिसंबर 1652को शहजादा औरंगजेब जहांआरा के बाग में पहुंचे और अगले दिन उन्होंने चमकते हुए मकबरे को देखा। वहीं उसी भ्रमण में औरंगजेब ने शाहजहां को पत्र लिखकर बताया कि इमारत की नींव मजबूत है, लेकिन गुंबद से पानी टपक रहा है।
पत्र में क्या लिखा?
औरंगजेब ने इस पत्र में लिखकर बताया की ताजमहल की चारों छोटी छतरियां और गुंबद बारिश में लीक हो रही हैं और संगमरमर वाले गुंबद पर दो से तीन जगह से बारिश का पानी टपक रहा है। इसकी मरम्मत कराई गई है। अब देखते हैं अगली बारिश में क्या होगा। इस पत्र के आधार पर ही यह रहस्य गहराया कि अगर ताज 1652में बना था तो गुंबद इतनी जल्दी कैसे लीक हो गया ? महत्वपूर्ण बात इसका रहस्य आज भी बरकरार है।
जब सैलानियों के लिए ताजमहल के हिस्से को बंद कर दिया गया और इनपर ताले लगा दिए गए तभी से विवाद बढ़ना शुरू हो गया। 50सालों में ताज का बड़ा हिस्सा पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है। सैलानियों की दूरी जैसे-जैसे ताज से बढ़ी, वैसे-वैसे ताज के तहखाने और धार्मिक नजरिए से देखने का विवाद गहराता चला गया। रहस्य भी गहराया।
पहले मीनारें, फिर तहखाना बंद किया
पर्यटक पहले ताजमहल की चारों मीनारों में घूमने के साथ सबसे ऊपर भी जाते थे। वहीं कई प्रेमी पर्यटक जोड़ों ने मीनारों से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। खुद्दाम ए रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरुद्दीन ताहिर ने बताया की आत्महत्या के मामलों के बाद मीनारों पर प्रवेश बंद कर दिया गया और मीनारों में नीचे दरवाजों पर ताला लगाया गया।
जिन दरवाजों पर आये शहंशाह उन्हें बंद किया
ऐसे में एएसआई ने ताजमहल की मीनारों और तहखाने के साथ-साथ उत्तरी दीवार के दोनों दरवाजों को भी बंद कर दिया। जहां से कभी शहंशाह और शाहजहां ताजमहल आते थे। आगरा किले से ताजमहल तक नाव से वह उत्तरी दरवाजों से ही पहुंच जाते थे और सीढ़ियों के जरिए चमेली फर्श तक जाते थे।