इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने कृषि क्षेत्र में बड़ा कमाल कर दिखाया है। दरअसल, इफको ने एक बोरी यूरिया को महज 500मिली लीटर की बोतल में समेट दिया है।इफको ने किसानों के लिए दुनिया का पहला लिक्विड नैनो यूरिया पेश किया है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से खेतों में यूरिया के कम से कम इस्तेमाल की अपील की थी। इसके बाद इफको के वैज्ञानिकों ने इस पर काम करना शुरू कर दिया था और अब लिक्विड नैनो यूरिया पेश कर दिया है। इससे खेती-किसानी की कायापलट हो जाएगी। इस नैनो यूरिया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि फसल का उत्पादन कई गुना बढ़ जाएगा। कम जमीन होने के कारण जो किसान गांव छोड़कर शहरों की तरफ भाग रहे थे वो अब गांव में ही रह कर फिर से खेती-किसानी में जुट जाएंगे। क्यों कि खेती अब नुकसान का नहीं बल्कि फायदा का सौदा साबित होने वाली है।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के कलोल में देश के पहले नैनो यूरिया प्लांट का उद्घाटन करेंगे। नैनो यूरिया के उपयोग से फसल की पैदावार में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अल्ट्रामॉडर्न नैनो फर्टिलाइजर प्लांट की स्थापना की गई है। इसे करीब 175करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इस प्लांट से रोजाना 500मिलीलीटर की लगभग 1.5लाख बोतलों का उत्पादन होगा। देश में खाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे बेहद अहम माना जा रहा है। नैनो यूरिया लिक्विड की आधा लीटर की बोतल में 40,000पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है। माना जा रहा है कि यह देश में एग्रीकल्चर सेक्टर का कायापलट कर सकता है।
हर साल खरीफ के सीजन में देश में किसानों को बड़ी मात्रा में खाद की जरूरत पड़ती है। किसानों की मांग को देखते हुए इफको (IFFCO) इस साल कलोल में नैनो यूरिया प्लांट की शुरूआत करने जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस प्लांट के शुरू होने के साथ ही देश में बड़ी मात्रा में नैनो यूरिया की कमी दूर होगी। इसके साथ ही किसानों को खाद की किल्लत का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। इफको ने कमर्शियल रूप से दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया है। पिछले साल इफको ने 2.9करोड़ बोतल नैनो यूरिया का उत्पादन किया था जो 13.05लाख मीट्रिक टन परंपरागत यूरिया के बराबर है।
इफको ने किया विकसित
इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooprative) ने हाल के वर्षों में नैनो यूरिया लिक्विड की खोज की थी। देश की 94से अधिक फसलों पर इसका परीक्षण किया गया था। 31मई 2021को इसकी शुरुआत हुई थी। इफको के मुताबिक लिक्विड यूरिया के इस्तेमाल से सामान्य यूरिया की खपत 50फीसदी तक कम हो सकती है। नैनो यूरिया लिक्विड की एक बोतल में 40,000पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है। IFFCO नैनो यूरिया एकमात्र नैनो फर्टिलाइजर है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है और फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर में शामिल किया है। इसे इफको ने विकसित किया है और इसक पैटेंट भी इफको के ही पास है।
इस तरह करता है काम
नैनो यूरिया का अविष्कार इन खामियों को दूर करने के लिए किया गया है। नैनो तरल यूरिया का उपयोग फसल की पत्तियों पर छिड़काव के माध्यम से करते हैं। छिड़काव के लिए एक लीटर पानी में 2-4 मिलीलीटर नैनो यूरिया मिलाना होता है। एक फसल में दो बार नैनो यूरिया का छिड़काव किया जाता है। जानकारों का कहना है कि जब हम पत्तियों पर इसका छिड़काव करते हैं तो सारा का सारा नाइट्रोजन सीधे पत्तियों में चला जाता है। इसलिए यह परंपरागत यूरिया की तुलना में ज्यादा कारगर है।