पाकिस्तान और चीन की यारी जग जाहिर है। लेकिन, ये दोस्ती सिर्फ मतलब की है। क्योंकि, इन दोनों ही देशों का टार्गेट भारत को परेशान करने का रहता है। भारत चीन और पाकिस्तान दोनों से ही अपनी सीमाएं साझा करता है। भारतीय सेने एक ओर से पाकिस्तान के आतंकियों से लड़ती है तो दूसरी ओर चीन को अपनी सीमा में घुसने से रोकती है। भारत में आतंक फैलान के लिए चीन खूब पाकिस्तान को आर्थिक रूप से मदद करता है। पाकिस्तान को लगता है कि चीन उसका खास दोस्त है। लेकिन, समय आने पर यही चीन पाकिस्तान को उसकी अपनी औकात दिखा देता है।
दरअसल, भारत ने हाल ही में ब्रिक्स प्लस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रवेश को रोकने के लिए चीन के साथ मिलकर काम किया। यह सब तब हुआ जब ब्रिक्स मेजबान के रूप में चीन ने कथित तौर पर भारत के लिए सहमति व्यक्त की और ब्रिक्स आउटरीच कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रवोश को रोक दिया। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि, भारत के इस कदम को रूस द्वारा भी सहमति मिली थी। दरअसल, इस बार चीन ने वर्चुअल माध्यम से ब्रिक्स समिट की मेजबानी की। 24 जून को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाई-लेवल डॉयलॉग ऑन ग्लोबल डेवलपमेंट का आयोजन किया। जिसमें ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के अलावा गैर ब्रिक्स देशों जैस ईरान, मिस्र, फिजी, अल्जीरिया, कंबोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया और मलेशिया भी शामिल हुए।
इसी में पाकिस्तान ने भी उभरती अर्थव्यवस्थओं के लिए ब्रिक्स आउटरीच कार्यक्रम में प्रवेश करने का प्रयास किया था लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। इसके पीछे एक वहज यह भी बताई गई कि, ब्रिक्स सम्मेलन में अन्य आमंत्रित लोगों की तरह पाकिस्तान उभरते बाजारों की श्रेणी में फिट नहीं बैठता है और उसकी अर्थव्यवस्था श्रीलंका जैसे बड़े संकट से जूझ रही है। पाकिस्तान कर्ज चुकाने में भी लगातार चूक कर रहा है। उधर चीन में मौजूद भारतीय राजदूत ने कई द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले ही विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी।
ये पाकिस्तान के लिए बेहद ही शर्म की बात है। क्योंकि, इस बार की ब्रिक्स की मीटिंग में कई छोटे देश शामिल हुए लेकिन पाकिस्तान को एंट्री नहीं मिल सकी। पाक विदेश मंत्रालय की ओर से इसपर बयान भी जारी किया गया है। बयान में कहा कि, ब्रिक्स समिट की एक मीटिंग में कई विकासशील देश शामिल हुए। अफसोस की बात है कि ब्रिक्स के एक सदस्य ने पाकिस्तान की भागीदारी को अवरुद्ध कर दिया। वैसे पाकिस्तान का यह इशारा भारत की ओर था।