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नेपाल से चीन का तंबू उखड़ना तय, गिरने वाली है ओली सरकार!

नेपाल से चीन का तंबू उखड़ना तय, गिरने वाली है ओली सरकार!

नेपाल से चीन के तम्बू उखड़ने लगे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने केपी शर्मा ओली को बचान की तमाम कोशिशें की लेकिन अब लगता है कि नेपाल की ओली सरकार कुछ ही दिनों की बची है। केवल ओली सरकार ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के टूटने का औपचारिक ऐलान होना बाकी बचा है। शी जिनपिंग ने अपनी राजदूत हाओ यांकी को पाकिस्तान से नेपाल इसी मिशन के साथ भेजा था कि नेपाल को भारत के खेमे से बाहर निकालना है। इसके लिए ओली सरकार को जो जरूरत पड़े वो मदद देनी है। ऐसा भी कहा जाता है कि संविधान संशोधन से लेकर ओली सरकार के सत्तारूढ़ कराने में भी चीन का पूरा दखल था। सरकार बन जाने के बाद चीन ही ओली सरकार को चला रहा था। यह आरोप की काठमाण्डू में लगते रहे हैं।

बहरहाल, चीन की राजदूत हाओ यांकी के तमाम प्रयासों के बाद भी नेपाल की सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी पिछले काफी समय से चल रहे मतभेदों के बाद अब अंतत: टूट की कगार पर पहुंचती नजर आ रही है। पीएम केपी शर्मा ओली के विरोधी धड़े के नेता पुष्‍प कमल दहल 'प्रचंड' के करीबियों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के विभाजन का मन बना ल‍िया है।

प्रचंड के सहयोगियों ने कहा कि ओली ने हालिया मुलाकात के दौरान कहा कि पार्टी का विभाजन हो जाना चाहिए। काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक प्रचंड ने 11 दिनों के बाद ओली से शनिवार को मुलाकात की थी। इसके बाद दहल ने रविवार को सचिवालय के 9 में से 5 सदस्‍यों के साथ अपने आवास पर बैठक की। पार्टी के प्रवक्‍ता और सचिवालय के सदस्‍य नारायण काजी श्रेष्‍ठ ने कहा कि इस बैठक में दहल ने बताया कि ओली ने उनसे कहा है कि वह सचिवालय की बैठक नहीं बुलाएंगे।

श्रेष्‍ठ ने बताया कि यही नहीं ओली ने यह भी कहा है कि वह पार्टी कमिटी के फैसलों को भी नहीं मानेंगे। उन्‍होंने कहा, 'दहल के मुताबिक, ओली ने कहा कि यदि किसी को कोई दिक्‍कत है तो इससे अच्‍छा है कि पार्टी का विभाजन कर दिया जाए।' प्रचंड की इस बैठक में श्रेष्‍ठ के अलावा, ओली कैबिनेट में गृहमंत्री राम बहादुर थापा, पार्टी के उपाध्‍यक्ष बामदेव गौतम और वरिष्‍ठ नेता झाला नाथ खनल तथा माधव कुमार नेपाल मौजूद थे।

इससे पहले रविवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे बिष्णु प्रसाद पौडेल कहा था कि उनकी पार्टी अपने अस्तित्व के गंभीर खतरे का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, 'इस समय, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के एकीकृत और अविभाज्य अस्तित्व के सामने एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। मैं सभी नेताओं, कैडरों और सदस्य साथियों से अनुरोध करता हूं कि वे पार्टी एकता के संरक्षण के लिए योगदान दें।'

नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि जब इस पार्टी का जन्‍म हुआ था, तभी से यह संघर्षों का सामना कर रही थी और यह नतीजा आना तय था। बता दें कि नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की स्‍थापना ओली के सीपीएन-यूएमएल और दहल की सीपीएन (एमसी) के बीच विलय से हुआ था। ये दोनों ही अलग-अलग विचारधारा से आते थे, इसलिए इस पार्टी के भविष्‍य को लेकर सवाल उठने लगे थे।

नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की स्‍थापना के डेढ़ साल बाद ही उसमें मतभेद उभरने लगे थे। राजनीतिक विश्‍लेषकों का कहना है कि कई मौकों पर ओली का घमंड और दहल की महत्‍वाकांक्षा के बीच टकराव हो चुका है। इससे पहले 11 सितंबर को दोनों ही गुटों के बीच समझौता हुआ था। इसके बाद प्रचंड और ओली गुटों ने आपस में शांति बनाए रखी हुई थी। पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ से 21 अक्‍टूबर को मुलाकात के बाद चीजें फिर से बदलनी शुरू हो गई हैं।.