यूक्रेन-रूस जंग का विषय हो या फिर कोरोना वैक्सीन सप्लाई का मुद्दा। इस बार की यूनाईटेड नेशन जनरल असेंबली (UN General Assembly) में भारत की आन-बान-शान का डंका बजा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति ब्लादीरमिर पुतिन के साथ ब्रिक्स में साइड लाइन मीटिंग का जिक्र तो कई राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों ने अपने भाषण में किया। भारत की इस तरह यूनाईटेड नेशन जनरल असेंबली (UN General Assembly) में बढ़ती साख को देख कर पाकिस्तान जैसे देश खिसियानी बिल्ली जैसे कश्मीर का रटे-रटाए पुराने और अस्तित्वहीन मुद्दा पर अटके रहे। समरकंद में हमारे पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को जंग को रोकने की सलाह दी थी। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां नेयूनाईटेड नेशन जनरल असेंबली (UN General Assembly) पीएम मोदी के इस बयान का संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण में जिक्र भी किया।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा, ‘जैसाकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक कहा है कि आज का दौर युद्ध का नहीं है।’ पीएम मोदी के इस बयान को पश्चिमी देशों में जमकर सराहा जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से लेकर अब तक दुनिया के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सामने बैठकर इस तरह की सीधी टिप्पणी नहीं की है। दो प्रमुख पश्चिमी देशों ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस और जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कॉल्ज ने भारत के साथ रिश्तों का अपने भाषण में उल्लेख किया।
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ब्रिटेन की पीएम लिज ट्रस ने कहा कि उनका देश अन्य लोकतांत्रिक देशों जैसे भारत, इजरायल, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका के साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है। भारत और ब्रिटेन इस समय फ्री ट्रेड समझौते को लेकर बातचीत कर रहे हैं। जर्मनी के चांसलर ओलाफ ने कहा कि उनकी सरकार भारत के साथ संपर्क में है। इससे पहले जर्मनी ने भारत को जी7 देशों की बैठक में आमंत्रित किया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि पीएम मोदी इस साल दो बार जर्मनी की यात्रा पर गए हैं।
सारी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के विषय पर रूस ने भारत का नाम के साथ समर्थन का ऐलान किया। रूस के साथ पुर्तगाल, यूक्रेन तक ने भारत को स्थाई सदस्य बनाने का ऐलान किया। पुर्तगाल के पीएम अंटोनियो कोस्टा ने कहा कि सुरक्षा परिषद में अफ्रीकी महाद्वीप, ब्राजील और भारत को स्थायी सदस्यता दी जाए। इसके अलावा छोटे देशों को भी निष्पक्षता के साथ शामिल किया जाए। रोचक बात यह है कि पुर्तगाली पीएम भारतीय मूल के हैं और उनके पिता गोवा के रहने वाले थे। पीएम कोस्टा कई बार भारत की यात्रा पर आ चुके हैं। उन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी यूनाईटेड नेशन जनरल असेंबली (UN General Assembly) भारत की सदस्यता का समर्थन किया। इस बीच भूटान और नेपाल ने भारत की कोरोना वैक्सीन कूटनीति के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज हमारी 90 फीसदी आबादी को कोरोना का टीका लगा है जिसका श्रेय भारत को भी जाता है। भूटान उन देशों में शामिल था जिसे भारत ने कोरोना वैक्सीन की खेप सबसे पहले भेजी थी। नेपाल के विदेश सचिव भारत राज पौडयाल ने भी भारत की वैक्सीन मैत्री योजना की प्रशंसा की। गुयाना के राष्ट्रपति ने भारत के चावल के निर्यात पर रोक से होने वाली दिक्कतों का जिक्र किया।
यूनाईटेड नेशन जनरल असेंबली (UN General Assembly)में भारत की प्रशंसा तुर्की और पाकिस्तान तो पसंद नहीं आई। इन दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने कश्मीर का मुद्दा महासभा में उठाया। शहबाज शरीफ ने कश्मीर का नाम अपने भाषण में 12 से ज्यादा बार लिया।