East Ladakh: आखिर चीन की मंशा क्या है? क्या चीन ताइवान की आड़ में भारत पर हमले की साजिश कर रहा है! चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेनाओं को भारत के खिलाफ ईस्ट लद्दाख (East Ladakh) से भारत पर हमले के लिए दिए हैं! चीनी राष्ट्रपति ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं, इसके मायने क्या हैं? ईस्ट लद्दाख (East Ladakh) में हालात ठीक नहीं है! इन सारे सवालों का जवाब तलाशने का काम कूटनीतिज्ञों और राजनयिकों का है, तो फिर हम क्यों चर्चा कर रहे हैं?
चीन से सावधान रहने की जरूरत
हमारे और आपके चर्चा के पर्याप्त कारण हैं! पहला यह कि एक राष्ट्रवादी नागरिक होने के कारण दुश्मनों की मंशा से सावधान रहने के जरूरत है। दूसरा कारण यह है कि भारतीय सेनाध्यक्ष ने चिंता पैदा करने वाला बयान जारी किया है। भारत के एक थिंक टैंक चाणक्य डायलॉग्स के एक कार्यक्रम में कहा है कि चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में ‘अप्रत्याशित स्थिति’ है।
आर्मी चीफ का बयान बेहद गंभीर
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ‘स्थित स्थिर’ है। भारतीय सेना अध्यक्ष मनोज पाण्डेय के वक्तव्य के ये दो शब्द बेहद गंभीर हैं और चिंताजनक है। ये शब्द किसी राजनेता के नहीं बल्कि सेना अध्यक्ष हैं। अगर सेना अध्यक्ष अगर यह कहता है कि अप्रत्याशित और स्थिर स्थिति है तो इसका मतलब है कि पूर्वी लद्दाख में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सोलहवें दौर की वार्ता के बाद चीन कुछ स्थानों से वापस गया था। बाकी भारतीय स्थान चौकियों से उसको हटाना था। लेकिन कुछ स्थानों पर अब भी चीन और भारत की सेनाएं आमने-सामने हैं।
सीमा पर चीनी सेना मजबूत कर रही इन्फ्रास्ट्रक्चर
सेना अध्यक्ष जनरल पाण्डेय ने कबूल किया है कि चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास बुनियादी ढांचों का विकास बेरोकटेक चल रहा है। इसका मतलब यह है कि चीन भारत के सात धोखे की नींव रख चुका है। सेना को तेजी से बॉर्डर की ओर भजने के लिए साधन जुटाए जा रहे हैं। लोग बसाए जा रहे हैं। खाली पड़े नए गावं और कस्बों में लोगों को बसाया जा रहा है ताकि जासूसी करवाई जा सके और विवादित जमीन पर चीन अपना हक मजबूत कर सके।
LOC से पीछे नहीं हटी चीनी सेना
दिल्ली में थिंक टैंक ‘चाणक्य डायलॉग्स’ को संबोधित करते हुए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थिति पर सेना प्रमुख ने कहा है कि जहां तक चीनी सुरक्षा बलों के स्तर का सवाल है, तो कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं हुई है। हम 17वें दौर की बातचीत के लिए तारीख पर गौर कर रहे हैं।
8 सितंबर को हुई थी सेनाएं हटाने की घोषणा
कहा यह जा रहा है कि इस साल सितंबर महीने में भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोल प्वाइंट-15 से पीछे हट गई हैं। भारत और चीन की सेनाओं ने आठ सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने क्षेत्र में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने के लिए रुकी हुई प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए पीपी-15 से सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया है।
इंडियन आर्मी चीफ की नसीहत राजनीतिक नेतृत्व को या खुद को?
सेनाओं के पीछे हटने के बीच जनरल पांडेय का यह कहाना कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन की ओर से बुनियादी ढांचों का विकास बेरोकटोक जारी है। व्यापक संदर्भ में हमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी कार्रवाई का बहुत सावधानी से आकलन करने की जरूरत है ताकि हम अपने हितों और संवेदनशीलताओं की सुरक्षा कर पाए। सवाल यह भी उठता है कि ‘सावधानी से आकलन’ करने की नसीहत वो किसको दे रहे हैं? खुद को या राजनीति नेतृत्व को? क्या राजनीतिक नेतृत्व ‘चीन’ पर सैन्य नेतृत्व के सुझावों पर गौर नहीं कर रहा? या जनरल पाण्डेय, राजनीतिक नेतृत्व यानी अपने रक्षा मंत्रालय को पूर्वी लद्दाख में पैदा हो रही ‘अप्रत्याशित परिस्थितों’ भरोसा नहीं दिला पाए हैं?
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