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Army on LAC: चीन की चालबाजियों का जवाब देने के लिए Indian Army तैयार, जायजा लेने बॉर्डर पर पहुंचे Gen नरवणे

Army Chief General MM Narwane on two day visit to Ladakh

थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख और सियाचिन के दो दिन के दौरे पर हैं। लद्दाख और सियाचिन में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अभियान के लिए भारत की तैयारियों का जायजा लिया। इस इलाके में तैनात सेना के जवानों से मुलाक़ात की और इस कठोर परिस्थितियों में सीमाओं की रक्षा में तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया। सेना के 14 कोर कमांडर ने सेना प्रमुख को सुरक्षा हालातो और सेना की तैयारीयो के बारे में जानकारी दी।

बताते चलें कि, पिछले साल इन दिनों चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई जगह घुसपैठ की कोशिश की थी जिसके बाद दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे। अपने दौरे के दौरान नरवणे ने सैनिकों का तैनात रहने के लिए उनके दृढ़ता और उच्च-मनोबल की सराहना की। मंगलवार को सेना ने बयान जारी करते हुए बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे ने पूर्वी लद्दाख और सियाचिन का दौरा किया। अपने दौरे के दौरान सेनाध्यक्ष ने वहां तैनात सैनिकों से मुलाकात कर बेहद उंचाई वाले इलाकों में विपरीत मौसम और जलवायु में भी तैनात रहने के लिए सैनिकों की दृढ़ता और उच्च-मनोबल की सराहना की।

जनरल एम एम नरवणे ने सैनिकों से बात की और कठिन इलाकों, ऊंचाई और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी तैनाती के दौरान शानदार निष्ठा भाव और ऊंचे मनोबल के लिए सैनिकों की तारीफ की। लेफ्टिनेंट जनरल मेनन ने थलसेना प्रमुख को क्षेत्र में मौजूदा सुरक्षा स्थिति और अभियान की तैयारियों की जानकारी दी।

 

थलसेना प्रमुख बुधवार को भी पूर्वी लद्दाख में ही मौजूद रहेंगे और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सहित कुछ अन्य इलाकों में सुरक्षा का जायजा लेंगे। क्योंकि पैंगोंग-त्सो झील के उत्तर और दक्षिण में पहले चरण के डिसइंगेजमेंट के बाद चीन अब दूसरे चरण के डिसइंगेजमेंट में आनाकानी कर रहा है। दूसरे चरण का डिसइंगेजमेंट यानि सैनिकों की फॉरवर्ड-लोकेशन से पीछे हटने की बारी अब गोगरा, हॉट-स्प्रिंग और डेपसांग प्लेन जैसे इलाकों की है। ऐसे में एलएसी पर हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।

 

बीते साल दोनों देशों के सैनिकों के बीच फायरिंग और हिंसक-झड़पें भी हुई थीं

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पांच मई को पैंगोंग झील के पास हुई हिंसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया था, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी।