Tawang Monastery warns China: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन जबरन घुस आया था, जिसके बाद चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच दो-दो हाथ हुआ। चीन की ओर से 300 सैनिक और इसके आधे भारतीय जवान। इतने कम भारतीय जवानों ने चीन के सबक सिखाते हुए उन्हें उनकी सीमा में जाने के लिए मजबूर कर दिया। इस झड़प में चीन के 100 से भी ज्यादे सैनिक घायल हुए थे। जबकि भारत के बहुत कम सैनिकों को मामूली चोटें आईं। इस झड़प के बाद तवांग (Tawang Monastery warns China) के लोग गुस्से में हैं और उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि, उन्हें भारतीय सेना और पीएम मोदी पर पूरा भरोसा है। इनके रहते चीनी सेना यहां पर कुछ नहीं कर सकती है। तवांग मठ (Tawang Monastery warns China) के भिक्षु ने साफ शब्दों में चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि, वो भारत से दूर रहे वरना इसका अंजाम बुरा होगा। क्योंकि, इस वक्त पीएम मोदी की सरकार और भारतीय आर्मी पर उनको पूरा भरोसा है।
पीएम मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे
भारत के जिस अभिन्न अंग को वो अपना क्षेत्र बताता है वहां के लोगों का गुस्सा चीन पर फूटता जा रहा है तवांग मठ के भिक्षु लामा येशी खावो ने कहा है कि, पीएम मोदी किसी को नहीं बख्शेंगे। हम भारतीय सेना का समर्थन करते हैं। चीनी सरकार हमेशा दूसरे देशों के इलाकों के पीछे पड़ी रहती है और यह पूरी तरह से गलत है। उनकी नजर भारत की भूमि पर भी है। अगर वो (चीन) दुनिया में शांति चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। एक दिन पहले तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भी ऐसा ही कुछ बयान दिया था। चीन की नापाक नजर पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक है। लेकिन तवांग में हुई झड़प ने चीनी सैनिकों को ये बता दिया कि ये 1962 का भारत नहीं है। आज भारतीय सेना हर मोर्चे में चीन से दो-दो हाथ करने में सक्षम है।
यूरोप, अफ्रीका और एशिया में कमजोर हो रहा है चीन- दलाई लामा
तवांग मठ के भिक्षु ने कहा कि, उन्हें भारतीय सरकार और भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है, जो तवांग को सुरक्षित रखेगी। 1962 के युद्ध के दौरान इस मठ के साधुओं ने भारतीय सेना की मदद की थी। चीनी सरकार का दावा है कि तवांग भी तिब्बत का हिस्सा है, लेकिन तवांग भारत का अभिन्न अंग है। एक दिन पहले तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से तवांग में चीन-भारत सैनिक झड़प को लेकर सवाल पूछा गया। इस बारे में उन्होंने कहा था कि चीन लौटने का कोई मतलब नहीं है। मैं भारत को पसंद करता हूं। कांगड़ा पंडित नेहरू की पसंद है, यह जगह मेरा स्थायी निवास है। दलाई लामा ने ये बात यह बात हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में कही है। जब उनसे तवांग गतिरोध के मद्देनजर चीन के लिए उनके संदेश के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि चीजें सुधर रही हैं। यूरोप, अफ्रीका और एशिया में चीन अधिक लचीला है। लेकिन चीन लौटने का कोई मतलब नहीं है। मैं भारत को पसंद करता हूं। इससे पहले वो हर मौके पर ये बात साफ कर चुके हैं कि वो भारत से प्यार करते हैं और यहीं पर जिंदगी बिताएंगे।
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