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पाकिस्तान में बदहाल है कटास राज मंदिर

पाकिस्तान में बदहाल है कटास राज मंदिर

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक ज़िला है चकवाल। यहां का कटास राज मंदिर हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, ये एक शिव मंदिर है। इसे कटास किला भी कहा जाता है। यहां इस परिसर में एक-दूसरे से जुड़े कई मंदिर हैं। जिनके बीच में एक सरोवर है, जिसका नाम कटास है। कटास राज मंदिर का ज़िक्र महाभारत में भी आता है। ये वो जगह है, जहां पर पांडवों ने अपने अज्ञातवास का लंबा समय बिताया था। एक मान्यता के अनुसार यहां पर युधिष्ठिर से तालाब का पानी पीने से पहले यक्ष प्रश्न किया गया था। दूसरी मान्यता के अनुसार इस मंदिर की आधारशिला भगवान कृष्ण ने रखी थी और यहां पर अपने हाथों से शिवलिंग बनाया था।

भारत के विभाजन से पहले <a href="https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C_%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0">कटास राज मंदिर</a> में हर शिवरात्रि के दिन बड़ा समारोह आयोजित किया जाता था। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हिन्दू आबादी रहा करती थी। यहां पर दूर-दूर से हिन्दू तीर्थयात्रा करने आते थे। कटास राज मंदिर साधु-संतों का बड़ा केन्द्र था। जहां पर आध्यात्मिक लोग आते रहते थे। लेकिन भारत के बंटवारे के बाद हिन्दू आबादी ने ये इलाका छोड़ दिया। तब से इस मंदिर की देख-रेख में पाकिस्तान सरकार ने जमकर अनदेखी की।

<a href="https://hindi.indianarrative.com/vichar/sharada-shaktipeeth-temple-central-asias-most-famous-education-center-only-ruins-19144.html">पाकिस्तान सरकार ने कभी इस मंदिर परिसर में इमारतों की मरम्मत नहीं करवाई।</a> जिसके कारण ये मंदिर एक तरह से खंडहर में तब्दील होने लगा और यहां का तालाब गंदगी से भर गया। यहां से पानी को पास की सीमेंट फैक्ट्री और कस्बों में सप्लाई किया जाने लगा, जिसके बाद तालाब सूख गया। 1965 की भारत-पाक जंग तक हिन्दू तीर्थयात्री हर वर्ष शिवरात्रि के दिन यहां आकर पूजा-अर्चना करते थे। वर्ष 1984 तक हिन्दू तीर्थयात्रियों के यहां आने पर पाकिस्तान सरकार ने पाबंदी लगा दी।
<h2>पाकिस्तान सरकार ने की ऐतिहासिक मंदिरों की उपेक्षा</h2>
<a href="https://hindi.indianarrative.com/hindi/raam-mandir-ke-lie-paak-kabje-vaale-kashmeer-mein-sthit-shaarada-peeth-se-bhee-mittee-laee-gaee-8513.html">वर्ष 2005 में तत्कालीन भारतीय उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कटासराज मंदिर की यात्रा की थी।</a> यहां के बदतर हालात देख कर उन्होंने बहुत दुख जताया था। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने इस मंदिर परिसर की मरम्मत करवाने का भरोसा जताया। अगले वर्ष यानी 2006 में मंदिर परिसर, इमारत और तालाब की साफ़-सफाई और मरम्मत का काम करवाया गया। इसी वर्ष 300 हिन्दुओं ने शिवरात्रि के दिन कटास राज मंदिर में तीर्थ किया। लेकिन मात्र दो वर्ष बाद 2008 में मुंबई हमलों के बाद भारतीय हिन्दुओं ने यहां जाना बंद कर दिया। इसके बाद कराची से करीब 2000 हिन्दुओं ने वर्ष 2010 में शिवरात्रि के दिन से फिर यहां तीर्थ करना शुरू किया।

लेकिन पाकिस्तान सरकार का हिन्दू मंदिरों की तरफ़ से आँखें मोड़ लेना उनकी फिरकापरस्त सोच का खुलासा करता है। <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/sharda-peeth-temple-pok-hindu-population-completely-decimated-neelum-valley-district-18414.html">बंटवारे के बाद पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर बदहाल होते गए।</a> जबकि वहीं दूसरी तरफ़ भारत में चाहे अढ़ाई दिन का झोंपड़ा हो, कुतुबमीनार हो या ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती और निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, भारत ने इन सारी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की इमारतों के रख-रखाव में अच्छा खासा पैसा खर्च किया। अपनी अल्पसंख्यक आबादी की धार्मिक विरासत को संजो कर रखा।

जबकि दुख की बात है कि ऐसा हमें पाकिस्तान में देखने को नहीं मिला। ये बात समझ से परे है कि धर्म के नाम पर हमारे पड़ोस में बनने वाले एक देश ने अपनी अल्पसंख्यक आबादी और उसकी धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को क्यों बर्बाद होने दिया। क्या ये महज़ लापरवाही का मामला है या फिर एक सोची समझी साज़िश के तहत अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म किया गया और उनकी धार्मिक और ऐतिहासिक विरासतों को बर्बाद होने दिया गया।.