Sri Lanka Debt Crisis: भारत वो देश है जो मुसीबत आने पर हर किसी का हाथ पकड़ लेता है। कुछ ऐसा ही देखने को मिला श्रीलंका में। दरअसल, पिछले दिनों श्रीलंका भारी आर्थिक तबाही से गुजर रहा था। ऐसे में भारत ने आगे बढ़कर श्रीलंका की मदद की। जी हां, यहां पर इंधन, दवाएं, खाद्य के साथ ही जरूरी सामनों को भेजकर मदद किया जा रहा है। श्रीलंका का ये हाल करने वाला कोई और नहीं बल्कि चीन है। चीन के कर्ज जाल में फंस कर श्रीलंका ने अपने पूरी अर्थव्यवस्था चौपट कर ली। यही चीन जब देखा कि भारत लगातार मदद कर रहा है तो उसकी आंखों में ये बात चुभने लगी। इस बीच भारत ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (Minister S Jaishankar) ने शुक्रवार को श्रीलंका दौरे पर देश से वादा किया कि सात दशक का सबसे बड़ा कर्ज संकट दूर करने में भारत मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। जयशंकर के इस बयान से लगता है कि चीन को मिर्ची लग गई है। इस बयान के तुरंत बाद ही चीन ने श्रीलंका के वित्त मंत्रालय को एक चिट्ठी भेजी है। इसमें उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के कर्ज प्रोग्राम को हासिल करने में उसकी मदद का वादा किया है।
चीन से परेशान है श्रीलंका
श्रीलंका सरकार के एक सरकारी सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि श्रीलंकाई सरकार को चीन से एक सकारात्मक रवैये की उम्मीद थी। मगर चीन की जगह भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया और संकट में फंसे देश ने राहत की सांस ली। श्रीलंका की सरकार चीन की तरफ से मिली चिट्ठी को लेकर थोड़ी निराश है। इस निराशा के बाद भी श्रीलंका ने तय किया है कि वह कर्ज पुर्नगठन के लिए बातचीत जारी रखेगा। साथ ही उसे सब अच्छा होने की उम्मीद है। सरकार के सूत्रों की मानें तो चीन की तरफ से जैसी प्रतिक्रिया मिली है, वह आशा के विपरीत है। दूसरी तरफ भारत ने पेरिस क्लब के साथ मिलकर श्रीलंकाई कर्ज के पुर्नगठन में सहयोग की इच्छा जताई है। भारत की इस इच्छा का चीन के साथ साझा नहीं किया गया है।
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श्रीलंका के कर्ज के पुनर्गठन के लिए चीन के साथ बातचीत कर रहा है और देश को मनाने की कोशिशों में लगा है। पिछले दिनों आईएमएफ की मुखिया क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि आईएमएफ, चीन को इस पूरे मुद्दे पर समझान चाहता है। वह चीन को बताना चाहता है कि इसके लिए और क्या-क्या हो सकता है। भारत सरकार ने पिछले हफ्ते आईएमएफ को एक आधिकारिक चिट्ठी भेजी थी