हाल ही में खबर आई थी कि चीन का स्पाई जहाज श्रीलंका आ रहा है। ये जहाज जितना चीन के लिए महत्वपूर्ण रखता है उतना ही भारत के लिए भी खतरा था। जिसे देखते हुए भारत ने विरोध किया तो श्रीलंका ने ड्रैगन को साफ शब्दों में मना कर अपने फैसले को रद्द कर दिया। जिसके बाद से चीन बुरी तरह झटपटा उठा है। चीन का कहना है कि, बीजिंग और कोलंबो के बीच सामान्य आदान-प्रदान को बधित करना बंद कर देना चाहिए। उसने श्रीलंकाई बंदरगाह पर इस चीनी स्पाई जहाज की डॉकिंग के लिए भारत के विरोध को मूर्खतापूर्ण बताया है। चीन दुनिया के कई देशों के साथ दुश्मनी ले रहा है। गलाव वैली में चीन भारतीय सीमाओं में जब घुसा तो उसे भारतीय जवानों ने ऐसा सबक सिखाया कि वो उसे अब तक नहीं भूल पाया। जिसके लिए वो इस तरह की घटिया हरकतें करने पर उतारु हो गया है। दूसरे देशों की जमीनों को हड़पने की चीन की नीयत भी जल्द दूर होगी। क्योंकि, ताइवान पर ड्रैगन के हमला करते ही पश्चिमी देशों के साथ दुनिया के कई बड़े देश ताइवान का साथ देंगे और यहां चीन को सबक सिखने को मिलेगा।
श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद अहम है। इस बंदरगाह पर चीन के एक हाई टेक रिसर्च जहाज के आने की खबर है। लेकिन उससे पहले भारत के विरोध के बाद श्रीलंका ने चीन से अनुरोध किया है कि वह अपनी इस योजना को टाल दे। अब श्रीलंका की गुजारिश से खफा चीन ने सोमवार को भारत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर कोलंबो पर दबाव डालना अर्थहीन है। एक रिपोर्ट के मुताबकि, श्रीलंका ने चीन से कहा है कि, वो अपने अंतरिक्ष एवं उपग्रह टोही पोत युआन वांग 5 के हंबनटोटा बंदरगाह पर आगमन को भारत की ओर से व्यक्त की गई चिंताओं की वजह से टाल दे। इस पोत को 11 से 17 अगस्त तक बंदरगाह पर पहुंचना है।
जिसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का कहना है कि, चीन तथा श्रीलंका के बीच सहयोग का चुनाव दोनों मुल्कों ने स्वतंत्र रूप से किया है और उनके साझा हित मेल खाते हैं। यह किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाते। सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर श्रीलंक पर दबाव डालना अर्थहीन है। रिपोर्ट में श्रीलंका के कदम के लिए भारत की ओर से व्यक्त की गई चिंताओं को जिम्मेदार बताया गया है। उन्होंने कहा, श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है और वह अपने विकास के हितों के मद्देनजर किसी भी तीसरे देश से संबंध बना सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीलंका हिंद महासागर में परिवहन केंद्र है और ईंधन भरवाने के लिए चीन समेत कई देशों के वैज्ञानिक खोजी पोत श्रीलंका के बंदरगाहों पर रुकते हैं। चीन नौवहन की स्वतंत्रता का पालन करता है और द्वीपीय देशों के जल क्षेत्र में वैज्ञानिक खोज की गतिविधियों के लिए उनके अधिकार क्षेत्र का पूरी तरह से सम्मान करता है।
दरअसल, भारत ने चीन के स्पाई जहाज को लेकर आपत्ति जताई थी। खबरों की माने तो, चीन के इस पोत में उपग्रहों और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टक मिसाइलों का पता लगाने की क्षमता है। भारत ने कहा है कि वह उन घटनाक्रमों पर करीब से निगाह रखता है जो उसकी सुरक्षा और आर्थिक हितों से संबंधित होते हैं। भारत के विरोध के बाद श्रीलंका ने चीन को मना कर दिया था। जिसके बाद ड्रैगन बौखला उठा है।