गलवान घाटी में हुई झड़प के इतने दिन बाद भी दोनों देशों के बीच तनाव जैसी स्थिति बनी हुई है। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत हो चुकी है, लेकिन बात नहीं बन पायी। इस झड़प के बाद भारत ने सीमा पर अपनी ताकत बढ़ा दी है। रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों ने बताया कि गलवान घाटी प्रकरण ने भारतीय सुरक्षा क्षेत्र के योजनाकारों को चीन से निपटने में देश का रुख तय करने के साथ ही छोटी अवधि में और दूरगामी खतरे का आकलन करते हुए रणनीति तैयार करने में मदद मिली। पिछले करीब पांच दशकों में सीमाई क्षेत्र में सबसे घातक झड़प में पिछले साल 15जून को गलवान घाटी में भारत के 20सैनिकों शहीद हो गए थे, जिसके बाद दोनों सेनाओं ने टकराव वाले कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर जवानों और हथियार समेत साजो-सामान की तैनाती कर दी। वहीं दूसरी तरफ चीन (China) एक तरफ दावा करता है कि वह भारत के साथ सभी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए लगातार काम कर रहा है, दूसरी ओर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगुवाई में बीजिंग अपनी सेना को मजबूत करने में लगा है।
दरअसल, नई दिल्ली में पिछले हफ्ते की G20 बैठक के मौके पर भारत और चीन के बीच प्रदर्शित कूटनीतिक मेलजोल के बावजूद, ऐसा लगता है कि पड़ोसी देश ने फिर से गलवान घाटी में हुई हिंसा जैसी घटना को दोहराने के लिए अपनी नापाक तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि चीन विवादों को निपटाने के लिए वार्ता करने के साथ ही सीमा विवाद पर सुलह को लेकर सकारात्मक रवैया दिखा रहा है, लेकिन वह 2020 के घातक गलवान संघर्ष के दौरान इस्तेमाल किए गए हाथ से लड़ने वाले हथियारों को खरीदने में व्यस्त है। इस बात का खुलासा अंग्रेजी वेबसाइट ‘इंडिया टुडे’ ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है।
China ने खरीदे नुकीले हथियार
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 2020 की गलवान घाटी झड़प में इस्तेमाल किए गए ‘कोल्ड वेपन्स’ की कैटेगरी से संबंधित ‘नुकीले छड़ी जैसे दिखने वाले’ हथियार खरीदे हैं, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी।
झड़प की वजह से चीन के साथ सैन्य गतिरोध के हालात बने और पीछे हटने की प्रक्रिया पर दोनों पक्षों में कई दौर की बातचीत भी हो चुकी हुई है। इस हथियार को ‘संयुक्त छड़ी’ बोलते हैं, जिसे स्पाइक्स और धारदार किनारों को जोड़कर युद्ध के लिए तैयार किया गया है।
वहीं हाल ही में चीनी विदेश मंत्री किन गैंग ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से कहा था कि भारत और चीन को द्विपक्षीय संबंधों में सीमा मुद्दे को ‘उचित स्थान’ पर रखना चाहिए और सीमाओं पर स्थिति को ‘सामान्यीकृत प्रबंधन के तहत’ जल्द से जल्द लाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
चीनी सैनिकों को कैसे दी ट्रेनिंग
बता दें, चीनी सेना ने इस साल जनवरी में नुकीले हथियार खरीदने के लिए टेंडर दिया था और एक माह बाद इसकी खरीदारी की गई. ये नुकीले हथियार भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बेहद खास बन गए हैं। कुछ रिपोर्टों के मुतबिक तियानजिन में पीपुल्स आर्म्ड पुलिस ने अतीत में इन नुकीले छड़ियों का इस्तेमाल गश्त के दौरान अपराधियों से निपटने के लिए किया है। पीएलए (People’s Liberation Army) के जवानों को युद्ध में नुकीले हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है। एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएलए ने 2,600 ऐसे नुकील हथियार खरीदने का ऑर्डर दिया है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 32 महीनों से ज्यादा वक्त से सीमा पर गतिरोध बना हुआ है। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत-चीन के बीच तनातनी बढ़ गई थी।