चीन (China) के कर्ज जाल में फंसे श्रीलंका ने खुद का बचाव करने के लिए फ्रांस, जापान और भारत ने हाथ मिलाया है। पिछले हफ्ते इस योजना के शुरू होने के बाद फ्रांस ने कर्ज देने वाले देशों से कहा है कि वे ‘पारदर्शिता’ को सुनिश्चित करें। फ़िलहाल श्रीलंका कर्ज के पहाड़ तले दब चुका है और डिफॉल्ट हो चुका है।जबकि इससे कुछ महीने पहले राजपक्षे परिवार को सत्ता से हटना पड़ा है। डॉलर नहीं होने की वजह से श्रीलंका को तेल, खाद्यान और दवाओं की आपूर्ति में भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इस दौरान फ्रांस के वित्त विभाग के महानिदेशक इमैनुअल मोउलिन का कहना है हम अन्य कर्जदाता देशों के साथ समन्वय करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज देने वाले देशों को एक समन्वित तरीके से कर्ज को रिस्ट्रक्चर करना शुरू करना चाहिए ताकि पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके। इससे पहले पिछले महीने आईएमएफ (IMF) ने 2.6 अरब यूरो के प्रोग्राम को मंजूरी दी थी ताकि श्रीलंका सात दशक में आए सबसे बड़े आर्थिक संकट से निकल सके।
राष्ट्रपति राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा
इस बीच श्रीलंका की मदद के लिए भारत भी आगे आया है। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम मानते हैं कि कर्ज के पुर्नगठन में इस तरह का सहयोग सभी कर्जदाताओं के व्यवहार में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पहले श्रीलंका में भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था। श्रीलंका सरकार को उम्मीद है कि वह मई तक एक डील को हासिल कर लेगी। श्रीलंका पर दुनिया के कई देशों का कुल 6.4 अरब यूरो कर्ज है। इसमें सबसे ज्यादा कर्ज चीन का है। चीन का कर्ज श्रीलंका के कुल विदेशी कर्ज का 10 प्रतिशत है।
ये भी पढ़े: भारत ने आग की लपटों में जल रहे Sri Lanka के लिए क्या नहीं किया… एक हफ्ते तक चीन को समय देना ठीक नहीं
चीन भारत के खिलाफ चल रहा है चाल
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन (China) के कदम में उसका निजी हित छिपा हुआ है। चीन श्रीलंका को मदद के नाम पर मदद नहीं कर रहा है। चीन कर्ज के जाल में फंसाकर श्रीलंका में रेडॉर स्टेशन स्थापित करना चाहता जिससे भारत और अमेरिका दोनों को ही खतरा है।