संसद भंग हो जाने के बाद चीन की राजदूत होऊ यांकी की प्रधानमंत्री ओली से मुलाकात को लेकर नेपाल में एक बार फिर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। नेपाल के सियासी दलों का कहना है कि नेपाल की अंदरूनी कमियों का फायदा उठाने के लिए चीन लगातार साजिश कर रहा है। संसद भंग होने और मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने के बावजूद चीनी राजदूत होऊ यांकी का ओली से मिलना किसी नई साजिश की ओर इशारा कर रहा है। प्रधानमंत्री ओली और चीनी राजदूत दोनों में से किसी ने भी इस मुलाकात के बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी है।
हालांकि विदेशी राजनयिक अधिकारी अपने मेजबान देश की आंतरिक राजनीति से दूर ही रहते हैं। लेकिन चीन की राजदूत हाओ यांकी पहले भी नेपाल के नेताओं के साथ अपनी मुलाक़ात की वजह से सुर्ख़ियां बटोरती रहीं हैं।
चीनी राजदूत होऊ यांकी का नेपाल की राजनीति में दखल किसी से छिपा नहीं है। पहले भी जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके विरोधी पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच खींचतान हुई थी, तब यांकी ने ही बीच-बचाव करके स्थिति को संभाला था लेकिन इस बार हालात ज्यादा खराब हो गए हैं। करीब तीन साल पहले अस्तित्व में आई दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी अब दो भागों में विभाजित हो चुकी है और दोनों पक्ष खुद को ज्यादा ताकतवर साबित करने पर तुले हैं।
नेपाल के बुद्धिजीवियों ने पहले ही आशंका व्यक्त कर दी थी कि यदि नेपाल आतंरिक तौर पर कमजोर होता है या फिर आंतरिक झगड़े बढ़ते हैं तो इस का फायदा चीन उठाना चाहेगा। चीन नेपाल को अपना प्ले ग्राउंड भी बनाने की साजिश करेगा। होऊ यांकी की पीएम ओली से इस मुलाकात को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है। इस बीच नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने केपीओली को चेयरमैन पद से भी हटाने का फैसला किया है। उनके स्थान माधव कुमार नेपाल को नया चेयरमैन घोषित किया गया है।.