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china की हरकत का बड़ा खुलासा, अभ्‍यास कर रही भारतीय नौसेना की फाइटर जेट से कर रहा जासूसी

चीन कर रहा भारतीय नौसेना की जासूसी

शायद ही कोई ऐसा देश हो जो चीन (china) से परेशान न हो। चीन की पैंतरेबाजी और उसके हड़पने की भूख के चलते उससे सीमा साझा करने वाले सारे देश परेशान हैं। चीन अपने पैंतरेबाजी से बाज नहीं आता है। हाल ही में दक्षिण चीन सागर पर पहली बार आसियान-भारत युद्धाभ्‍यास का आयोजन हुआ जो बीते सोमवार को दक्षिण चीन सागर में जाकर खत्‍म हो गया। चीन ने इस युद्धाभ्‍यास की जासूसी करने की कोशिश की है। जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक चीन के जहाज और उसके एयरक्राफ्ट दक्षिणी चीन सागर में मौजूद थे। हालंकि इन मौजूदगी से ड्रिल पर कोई असर नहीं पड़ा क्‍योंकि चीनी जहाज और एयरक्राफ्ट अभ्‍यास में शामिल वॉरशिप्‍स के करीब नहीं आ सके थे।

चीन की आक्रामकता में तेजी

बता दें, आसियान इंडिया मैरीटाइम एक्‍सरसाइज (AIME) का यह पहला दौर था। ऐसे में पहली बार भारत, फिलीपींस, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, थाइलैंड, ब्रुनेई और वियतनाम के युद्धपोत हिस्‍सा ले रहे थे। इस युद्धाभ्‍यास की शुरुआत रविवार को हुई जो आठ मई को खत्‍म हो गया था। दरअसल, चीन लगातार दक्षिण चीन सागर पर आक्रामक बना हुआ है। यहां पर उसके कई पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद जारी हैं। (AIME) के दौरान चीनी जहाजों के अलावा एक रिसर्च जहाज भी युद्धाभ्‍यास वाली जगह पर मौजूद था।

चीनी जहाज रहे दूर

भारत के रक्षा सूत्रों की तरफ से बताया गया कि चीनी जहाज करीब नहीं आ सके और इसकी वजह से ड्रिल पर कोई असर नहीं पड़ा। न ही जहाज इतने करीब थे कि कोई खतरा पैदा होता। हालांकि, चीनी जहाजों पर सावधानीपूर्वक निगरानी रखी जा रही थी। इससे पहले भारत ने एक गाइडेड मिसाइल डेस्‍ट्रॉयर आईएनएस दिल्‍ली और स्‍टील्‍थ फ्रिगेट आईएनएस सतपुड़ा ने युद्धाभ्‍यास के बंदरगारह फेज के दौरान हिस्‍सा लिया था।

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आसियान देशों के करीब होता भारत

चीन के कई आसियान देशों के साथ रिश्‍ते जहां बिगड़ रहे हैं तो वहीं भारत युद्धाभ्‍यास के जरिए इन देशों के करीब हो रहा है। भारत के इन देशों के साथ रक्षा संबंध मजबूत हो रहे हैं। इसके अलावा कई ट्रेनिंग प्रोग्राम को भी चलाया जा रहा है जिसका मकसद लड़ाकू विमानों और पनडुब्बियों को ऑपरेट करने के बारे में बताना है। साथ ही अब भारत की तरफ से हथियारों की सप्‍लाई भी बढ़ा दी गई है। हर बैटरी 2.8 मैक की स्‍ट्राइक रेंज के साथ 290 किलोमीटर तक का सफर तय करती है। पिछले साल जनवरी में फिलीपींस के साथ यह डील 375 मिलियन डॉलर के साथ हुई। इसके अलावा इंडोनिशया और वियतनाम के साथ भी यह डील फाइनल होने वाली है।