Discovery of Treasure in Europe: यूरोप में दुर्लभ अर्थ मेटल का सबसे भंडार स्वीडन (Sweden) में पाया गया है। इस खजाने से पूरा यूरोप मालामाल हो सकता है। इसके साथ ही इस खजाने के चलते चीन को बुरी तरह से झटका लग सकता है। आने वाले समय में चीन की अर्थव्यवस्था में बुरी असर पड़ता देखने को मिल सकता है। क्योंकि, यहां पाई जाने वाली धातुओं से टार्बाइन से लेकर स्मार्टफोन या फिर कहें की सबकुछ बनाया जा सकता है। ऐसे में चीन को बड़ा झटका है क्योंकि, ये धातुएं चीन से यूरोप में निर्यात होती हैं और अब यही चीन से निर्यात को कम करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
इस खजाने की खोज सरकारी खनन कंपनी एलकेएबी (LKAB) ने स्टॉकहोम (Discovery of Treasure in Europe) से उत्तर में करीब 1000 किमी दूर की है। इसे ‘प्राकृतिक खजाना’ कहना जरा भी गलत नहीं होगा। क्योंकि, भंजार करीब 10 लाख टन से भी अधिक का है। यूरोपीय संघ इस्तेमाल की जाने वाले दुर्लभ अर्थ मेटल का करीब 98 फीसदी चीन से आयात करता है। रेयर अर्थ मेटल, जैसे-यूरोपियम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रेसियोडीमियम, डिस्प्रोसियम, के कई तरह के उपयोग हैं। इनमें से कुछ औद्योगिक इस्तेमाल के लिए मैग्नेट बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जबकि अन्य का उपयोग ऑप्टिकल लेंस और ग्लास पॉलिशिंग के लिए क्या जाता है। स्वीडन में पाया गया अधिकांश भंडार लौह अयस्क है, वह खनिज जिससे लोहा धातु निकाली जाती है। स्वीडन यूरोपीय संघ में लौह अयस्क के उत्पादन का करीब 90 फीसदी हिस्सा है। ये खोज बहुत बड़ी है लेकिन, साइट पर खनन शुरू होने में कम से कम 10 साल का समय लेगेगा।
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आने वाले समय में तेल और गैस से ज्यादा इनकी होगी मांग
रेयर अर्थ मेटल निकलाना न सिर्फ बेहद मुश्लिक है बल्कि पर्यावरण के लिए भी संभवतः हानिकारक है। इसलिए इसकी मंजूरी मिलना एक लंबी प्रक्रिया है। ऑब्जर्वर्स को उम्मीद है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ने के साथ-साथ रेयर अर्थ मेटल की मांग पांच गुना बढ़ जाएगी। रिपोर्टों की माने तो लिथियम और रेयर अर्थ मेटल जल्द ही तेल और गैस की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होने वाले हैं। दुनिया भर में 120 मिलियन टन रेयर अर्थ मेचल हैं।
स्वीडन में पाया गया भंडार इसका एक प्रतिशत से भी कम है। इन मेटल्स को निकालने पर चीन का वैश्विक प्रभुत्व है। इसने अनिवार्य पर्यावरणीय जांच के बिना रिफाइनरियों में भारी निवेश किया है। चीन को ये सबसे बड़ा झटका है, क्योंकि, यूरोप इन सारी खनीजों की निर्यात चीन से करता है। अगर इसपर काम शुरू हो गया तो ड्रैगन को झटना नहीं बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ेगा।