चीन (China) ने अपने साथ वाले सभी पडोसी देशो का नाक में दम कर रखा है। वह सबकी जगह हथिया कर पुरे विश्व पर राज करना चाहता है। आये दिन वह कुछ ना कुछ साज़िश में लगा रहता है। (एलएसी) पर एक बार फिर भारत और चीन के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन तिब्बत में एलएसी के करीब यारलुंग-त्संगपो नदी की निचली धारा पर एक सुपर बांध बनाने की अपनी योजना को आगे बढ़ा रहा है। इस नदी को भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है और यह सबसे बड़ी नदी है। जाने-माने जानकार और चीन की राजनीति के बारे में अच्छी समझ रखने वाले ब्रह्मा चेलानी ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने निक्केई एशिया में एक आर्टिकल लिखा है जिसके मुताबिक ‘चीन दुनिया के सबसे बड़े बांध का निर्माण गुप्त रूप से नहीं कर सकता।’ इस आर्टिकल पर अगर यकीन करें तो यह बांध 60 गीगावॉट की क्षमता वाला होगा।
दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना
यह बांध चीन (China) के मेगा प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा। भारत से सटी सीमा पर उसका यह बांध आकार और क्षमता दोनों में उसके अपने ही एक और डैम ‘थ्री गॉर्जेस’ से भी कहीं गुना ज्यादा बड़ा होगा। थ्री गॉर्जेस इस समय दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है। चीन के बांध-निर्माण की खबरें अक्सर मीडिया में आती रहती हैं। मगर चीन कभी भी इन परियोजनाओं के पैमाने और भौगोलिक सीमा को स्पष्ट नहीं करता है। इसलिए इन पर हमेशा रहस्य बना रहता है। माना जा रहा है कि ब्रह्मपुत्र के उस बिंदु पर बिजली पैदा करने की योजना बना रहा है, जहां ये यह नदी भारत में दाखिल होती है। नवंबर 2020 में बांध की खबरें फिर से सामने आईं थी। उस समय चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस बारे में जानकारी दी थी।
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कैलाश पर्वत के पास एंगसी ग्लेशियर से निकलती और पूर्व में हिमालय से घिरी ब्रह्मपुत्र नदी 3,969 किलोमीटर लंबी है। भारत की सीमा के बाहर इसे चीन में यारलुंग-त्संगपो के नाम से बुलाते हैं। यह नदी यह अलग-अलग क्षेत्रों से होकर बहती है। तिब्बत से निकलती हुई यह भारत से गुजरती है और अंत में बांग्लादेश में खत्म होती है। 1,100 किलोमीटर पूर्व की ओर बहने के बाद यह कई सहायक नदियों से मिलती है। इसके बाद यह अचानक उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ जाती है। फिर हिमालय के पूर्वी छोर पर पर्वतीय श्रृंखलाओं के बीच संकरी घाटियों से रास्ता बनाती हुई चीन को पार करते हुए दक्षिण की ओर मुड़ जाती है। यह हिस्सा एलएसी के तहत आता है और भारत से निकलते ही दोनों ओर 5,000 मीटर या उससे ज्यादा गहरी खाई में गिरती है। यह दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी नदी है।