अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक सरकारी स्वामित्व वाले बड़े निगम के प्रमुख को नौकरी से निकाल दिया है। इस अधिकारी ने अमेरिकी प्रौद्योगिकी कर्मचारियों की जगह पर आउटसोर्स वर्कर्स को रखा था। यह कदम उठाने के साथ-साथ ट्रम्प ने यह भी कहा है कि वह इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए ही एच 1-बी वीजा नियमों को बदल रहे हैं।
सोमवार को ट्रम्प ने कहा, "हम एच 1-बी रेगुलेशंस को अंतिम रूप दे रहे हैं ताकि किसी भी अमेरिकी कर्मचारी को फिर से प्रतिस्थापित न किया जाए। एच 1-बी को ऐसी टॉप और अत्यधिक भुगतान की जाने वाली प्रतिभाओं के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो अमेरिकियों के लिए नौकरियां पैदा करें, न कि अमेरिकियों की नौकरियों को खत्म करने के लिए सस्ते श्रम कार्यक्रम के रूप में काम करे।"
ट्रम्प पहले ही इस साल के अंत तक के लिए अधिकांश एच 1-बी और कुछ अन्य वर्क वीजा को फ्रीज कर चुके हैं।
टेनेसी वैली अथॉरिटी (टीवीए) के अध्यक्ष जेम्स थॉम्पसन और निदेशक रिचर्ड हावर्थ की बर्खास्तगी की घोषणा करते हुए, उन्होंने सरकारी अधिकारियों को चेतावनी दी, "यदि आप अमेरिकी श्रमिकों के साथ विश्वासघात करते हैं, तो आप दो सरल शब्दों को सुनेंगे कि 'आपको निकाला जाता है'।"
उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि टीवीए अपने फैसलों को पलटकर अमेरिकी कर्मचारियों को बुलाने के लिए तेजी से काम नहीं करता है तो बोर्ड के और भी सदस्यों को हटाया जा सकता है।
वहीं कुछ डेमोक्रेट और रिपब्लिकन ने भी कोविड-19 महामारी के दौरान एच1-बी वर्कर्स से टीवीए टेकीज को प्रतिस्थापित करने का विरोध किया है।
बता दें कि एच1-बी वीजा धारकों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की ही है। 74 फीसदी वर्क वीजा भारतीयों के पास हैं।.