Fight Against Inflation:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में राष्ट्र को संबोधित करते हुए इस मौक़े का फायदा उठाते हुए महंगाई का मुद्दा उठाया। एक दिन पहले ही जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित भारत की मुद्रास्फीति जून में 4.87 प्रतिशत की तुलना में जुलाई में बढ़कर 7.44 प्रतिशत हो गयी है, जो अप्रैल 2022 में दर्ज 7.79 प्रतिशत के बाद सबसे अधिक है।
क़ीमतों पर क़ाबू पाने के लिए और क़दम उठाने का वादा करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि भारत दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, लेकिन सरकार लापरवाह नहीं हो सकती।
उन्होने कहा,“आज दुनिया महंगाई के संकट से जूझ रही है। मुद्रास्फीति ने पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को अपनी गिरफ़्त में ले लिया है…यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब हम अपनी ज़रूरत का सामान आयात करते हैं, तो हम मुद्रास्फीति भी आयात करते हैं।”
पीएम ने आश्वासन दिया, “हम सिर्फ़ इसलिए संतुष्ट नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी स्थिति बाक़ी दुनिया से बेहतर है। मेरे देश के नागरिकों पर महंगाई का बोझ और कम हो, इसके लिए मुझे और क़दम उठाने होंगे। हम वे क़दम उठायेंगे और मेरे प्रयास जारी रहेंगे।”
पीएम ने यह भी बताया कि भारत, जो 2014 में दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, अब पांचवें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्र-प्रथम’ मंत्र के आधार पर ही नीतियां और सुधार तैयार किए गए हैं।
मोदी ने कहा, “हालांकि तीन बुराइयों – भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण को ख़त्म करने की ज़रूरत है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि जब देश 2047 में आज़ादी के 100 साल का जश्न मनायेगा, तो देश एक विकसित भारत होगा। मैं इसे अपने देश की क्षमता और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर कहता हूं।”
पीएम ने देश को यह भी आश्वासन दिया कि अगले पांच वर्षों में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगा। मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद के चरण में एक नया भूराजनीतिक समीकरण उभरा है।
“Covid19 महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था, एक नया भू-राजनीतिक समीकरण आकार ले रहा है। भू-राजनीति की परिभाषा बदल रही है। आज नई विश्व व्यवस्था को आकार देने में 140 करोड़ भारतीयों की क्षमता देखी जा सकती है।”
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