ब्रिक्स शिकार सम्मलेन में PM Modi ने चल दी ऐसी चाल मुँह ताकते रह गए चीनी राष्ट्रपति। दरअसल दक्षिण अफ्रीका में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार का समर्थन करके चीन के दांव को फेल कर दिया। भारत ने ब्रिक्स में नए सदस्यों के चुनाव और उनके मानदंडों को लेकर आम सहमति बनाने में बढ़त बना ली। यही नहीं भारत को उसके इस प्रयास में दोस्त रूस का भी पूरा साथ मिला है। भारत की कोशिश है कि ब्रिक्स में हमारे रणनीतिक भागीदार देश जैसे यूएई, सऊदी अरब, इंडोनेशिया और मिस्र ब्रिक्स के नए सदस्य बन जाएं। इससे पहले चीन की कोशिश थी कि ब्रिक्स को पश्चिमी देशों जी-7 के खिलाफ खड़ा किया जा सके। चीन इसमें अमेरिका विरोधी देशों को शामिल कराना चाहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बुधवार जोहान्सबर्ग में हो रहे 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के खुले पूर्ण सत्र में कहा कि ब्रिक्स को भविष्य के लिए तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स के विस्तार का पूरा समर्थन करता है, हम इस पर आम सहमति के साथ आगे बढ़ने का स्वागत करते हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा,”लगभग दो दशकों में ब्रिक्स ने एक लंबी और शानदार यात्रा तय की है। इस यात्रा में हमने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। हमारा न्यू डेवलपमेंट बैंक ग्लोबल साउथ के देशों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”उन्होंने आगे बताया कि हम दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में वैश्विक दक्षिण के देशों को ब्रिक्स में विशेष महत्व दिया गया है। हम इसका स्वागत करते हैं। भारत ने भी जी-20 की अध्यक्षता में इस विषय को महत्व दिया है।
पीएम मोदी ने क्या सुझाव दिया?
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि ब्रिक्स देशों के आम नागरिकों के जीवन हम बदलाव ला रहे हैं। इसके लिए यूथ समिट, ब्रिक्स गेम्स और थिंक टैंक काउंसिल के जरिए पीपुल टू पीपुल्स टाइस मजबूत कर रहे है। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें स्पेश के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहिए है। इसके अलावा शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी में सहयोग बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि रेलवे अनुसंधान नेटवर्क, एमएसएमई, स्टार्ट-अप के बीच सहयोग के क्षेत्रों में भारत के सुझाये गये उपायों पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
My remarks at Plenary Session I of BRICS Summit in Johannesburg. https://t.co/JqJPCv045R
— Narendra Modi (@narendramodi) August 23, 2023
चीन की इस चाल का भारत ((PM Modi)) और ब्राजील दोनों ने ही विरोध किया था। भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि ब्रिक्स के विस्तार से पहले नए सदस्यों की संख्या और उनके लिए समुचित मानदंड होना जरूरी है। रूस ने अब भारत के ब्रिक्स के विस्तार को लेकर रुख का पूरा समर्थन किया है। सूत्रों ने बताया कि रूस ने इस बात का भी समर्थन किया है कि ब्रिक्स को क्वॉड या जी-7 के खिलाफ नहीं खड़ा किया जाना चाहिए। इससे पहले चीन के राष्ट्रपति ने कहा था कि विरोध चाहे कितना भी हो लेकिन ब्रिक्स का विस्तार नहीं रुकेगा। ब्रिक्स में अभी भारत, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका सदस्य देश हैं।
चीन के राष्ट्रपति ने निकाली थी भड़ास
जिनपिंग ने यह भी कहा कि चीन के डीएनए में विस्तारवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों को बहुध्रुवीयता का वास्तविक रूप से पालन किया जाना चाहिए। शी ने कहा, ‘हमें वैश्विक शासन को और अधिक न्यायसंगत और समतापूर्ण बनाने के लिए ब्रिक्स परिवार में और भी देशों को शामिल कर समूह का विस्तार करने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है।’ बता दें कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में ब्रिक्स के विस्तार का समर्थन किया था। पीएम मोदी ने बुधवार को कहा कि ब्रिक्स के विस्तार का भारत पूरा समर्थन करता है और आम सहमति से इस दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत करता है। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण सहित कई क्षेत्रों में समूह के सदस्य देशों के बीच सहयोग का दायरा और बढ़ाने के लिए पांच सुझाव भी दिए।
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अधिकारियों के अनुसार, जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) की शिखर बैठक के दौरान मोदी ने समूह से ध्रुवीकरण नहीं, बल्कि एकता का वैश्विक संदेश भेजने का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के लिए समयसीमा निर्धारित करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कई बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार करने और ब्रिक्स के प्रस्तावित अंतरिक्ष अन्वेषण समूह का गठन किये जाने का भी समर्थन किया।