भारत के बासमति चावल की मांग पूरी दुनिया में है। यह विशेष सुगंध वाली चावल उत्तर भारत के कुछ ही इलाकों में उगाई जाती है। लेकिन पाकिस्तान इसे अपना बताने के लिए भारत की टक्कर में उतर आया है। दरअसल पाकिस्तान के बासमती चावल को यूरोपीय यूनियन से भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication-GI Tag) पंजीकृत कराने की मंजूरी मिल गई है। इसके बाद अब पाकिस्तान बासमती के लिए यूरोपिय बाजार खुल गए हैं। हालांकि, इसको लेकर भारत लंबे समय से विरोध कर रहा था। भारत की ओर से दावा किया गया था कि उत्तर भारत के कुछ ही इलाकों में विशेष सुगंध वाली बासमती उगाई जाती है। ऐसे में पाकिस्तान को GI टैग नहीं मिलना चाहिए।
पाकिस्तान की यह पुरानी आदत रही है कि वह भारत से खेल, राजनीति और कूटनीति समेत लगभग हर मोर्चे पर प्रतिद्वंदता करता है। दरअसल, भारत ने साल 2018 में इस संबंध में आवेदन कर अपने बासमती चावल को 'जीआई' दर्जा देने के लिए कहा था, जिससे कि इस चावल को इसके मूल उत्पादन स्थान यानी भारत से संबद्ध किया जा सके। भारत के इस पक्ष को यूरोपीय संघ की एक पत्रिका में 11सितंबर, 2020को प्रकाशित भी किया गया था। लेकिन मिली जानकारी के अनुसार, 26जनवरी 2021को पाकिस्तान ने बासमती का जीआई टैग हासिल कर लिया। हालांकि, भारत ने अभी हार स्वीकार नहीं की है। बता दें कि किसी देश को किसी वस्तु का जीआई टैग मिलने के बाद भी कोई देश उस पर अपना दवा जारी रख सकता है और मामला सिद्ध होने पर जीआई टैग मिलने वाले देश का नाम बदला भी जा सकता है।
क्या है नियम
राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (REAP) ने बासमती की किस्मों एवं उनकी विशेषताओं से जुड़ी एक पुस्तिका तैयार की। इन प्रक्रियाओं का पालन करना पाकिस्तान में बासमती चावल उत्पादक किसी भी किसान या ऑपरेटर के लिए जरूरी है।
क्या करती है आरईएपी
REAP एक कारोबारी संस्था है जो विश्व को बासमती का निर्यात करने में पाकिस्तान के निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करती है। पाकिस्तान सरकार ने ट्रेड डेवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान (TDAP) को बासमती के रजिस्ट्रार के रूप में मनोनीत किया है। इसी संस्था ने ईयू के बौद्धिक सम्पदा संगठन (IPO) में पाकिस्तान की ओर से आवेदन दाखिल किया है।
क्या है GI टैग?
GI एक ऐसा नाम या प्रतीक होता है, जिसे उत्पादों के लिए किसी क्षेत्र विशेष के किसी व्यक्ति, व्यक्ति समूह या संगठन को दिया जाता है। सीधे शब्दों में कहें, तो GI एक ऐसा संकेत है, जिसका इस्तेमाल विशेष भौगोलिक क्षेत्र में पैदा या बनाए जाने वाले उत्पादों के लिए किया जाता है।
क्या है फायदा?
GI टैग मिलने से कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति या संगठन को GI टैग के इस्तेमाल से रोक सकता है। इन सबके अलावा इसका सबसे ज्यादा फायदा व्यापार में मिलता है। पहचान मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए दरवाजे खुल जाते हैं। प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ जाता है। साथ में फर्जी प्रोडक्ट को रोकने में मदद मिलती है।
दरअसल, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन का Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights (TRIPS) नाम का एक एग्रीमेंट है। इस एग्रीमेंट को साइन करने वाले सभी देश एक दूसरे के जीआई टैग का सम्मान करते हैं। एग्रीमेंट के मुताबिक, अगर किसी देश को किसी विशेष उत्पाद के लिए टैग मिला है, तो दूसरे उस तरह के फेक प्रोडक्ट्स को रोकने की कोशिश करेंगे।