भारत में 18वां जी-20 शिखर सम्मेलन शनिवार और रविवार को आयोजित हो रहा है। लेकिन इसमें चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं हो रहे हैं। मगर बाकि दुनिया के नेता भारत पहुंच गए हैं। इस बीच चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत की मेजबानी से जुड़ा एक लेख लिखा है। इसमें उसने भारत की तारीफ की है। वहीं पश्चिमी देशों पर निशाना साधा। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत पहली बार इतने बड़े पैमाने पर बहुपक्षीय राजनयिक शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहा है। वहीं तैयारियों को देख ऐसा लगता है कि भारत इसे बेहद महत्व देता है। भारत को लगता है कि इसका सफल आयोजन उसके कद को दुनिया में बढ़ाएगा।
वहीं इसके आगे लेख में यह भी लिखा गया कि अमेरिका और पश्चिमी देश जो अक्सर भारत के साथ खड़े होने का दावा करते हैं, उन्होंने G-20 देशों के बीच मतभेदों को प्रचारित किया है। जी 20 दुनिया का एक प्रमुख आर्थिक सहयोग मंच है, लेकिन यहां वह अपने एजेंडे को बढ़ावा देना चाहते हैं।’ ग्लोबल टाइम्स ने इस बात पर चिंता जताई कि पश्चिम के कारण ही संभवतः पहली बार इतिहास में हो सकता है कि संयुक्त विज्ञप्ति जारी न की जाए। भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए छह प्राथमिकताओं हरित विकास और जलवायु वित्त, समावेशी विकास, डिजिटल अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, टेक्नोलॉजी ट्रांसफॉर्मेशन और सामाजिक आर्थिक प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण में सुधार की घोषणा की है।
रूस-यूक्रेन जंग पर ज्यादा ध्यान
यही नहीं ग्लोबल टाइम्स ने यह भी लिखा की देश इन एजेंडों की जगह रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अपना ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। भारत ने यूक्रेन के प्रतिनिधि को जी-20 में नहीं बुलाया है। ग्लोबल टाइम्स ने तारीफ करते हुए लिखा, ‘इन एजेंडों की शृंखला से यह देखने मुश्किल नहीं कि भारतीय पक्ष आर्थिक सुधार और बहुपक्षीय कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है, जो हमेशा से जी-20 मंच का मुख्य विषय रहा है।
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पश्चिम जी20 को तोड़ना चाह रहा
पश्चिमी देशों पर हमला बोलते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में हुए शिखर सम्मेलन के बाद से पश्चिम ने जी-20 को तोड़ने की इच्छा दिखाई है। इस साल उन्होंने अपने प्रयास को तेज कर दिया है।’ ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता में पश्चिमी देशों ने लगातार भारत-चीन संघर्षों को हवा दी है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि अमेरिका ने चीन से कहा था कि हम स्पॉइलर (रंग मे भंग करनेवाला) न बनें। हम भी अमेरिका से यही कहना चाहते हैं कि वह रंग मे भंग करनेवाला न बने।