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नेपाल को लोकतांत्रिक तरीके से सियासी संकट का समाधान देगा भारत!

पीएम केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ।

नेपाल अपने सियासी संकट का समाधान खोज रहा है। इस बुरे वक्त में नेपाल की समस्या का समाधान करना बड़ा सवाल है। संकट गहराता देख अब पुष्प कमल दहल प्रचंड ने भारत से आगे आने की गुहार लगाई है। क्योंकि पीएम केपी शर्मा ओली द्वारा संसद भंग करने से नेपाल की सियासत में भूचाल आया हुआ है।

हालांकि, चीन ने पिछले साल दिसंबर में चार सदस्यीय उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजा था, जिसने नेपाल के शीर्ष नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं, लेकिन प्रतिनिधिमंडल ओली और प्रचंड के बीच सुलह कराने में सफल नहीं हो सका। चीन अभी भी इस कोशिश में है कि नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी को विभाजित होने से रोका जा सके।

इस बीच, भारत कूटनीतिक और लोकतांत्रिक तरीके का सहारा लिया है। भारत संप्रभुता और आंतरिक मामले को अछूण्ण रखकर नेपाल को सियासी संकट से उबारने में लगा है। भारत का मानना है कि नेपाल के आंतरिक मामले में बाहरी दखल ज्यादा बढ़ने से मामला बिगड़ेगा। यह इशारा चीन की तरफ था। भारत ने कहा है कि इस बारे में पड़ोसी देश को ही अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के मुताबिक फैसला लेना होगा। साथ ही भारत से मदद की गुहार लगाने को लेकर भी कहा कि नेपाल के नेता भले ही कितनी भी बयानबाजी करें, लेकिन मुश्किल वक्त में उन्हें भारत ही याद आता है। 

वहीं, प्रचंड ने ओली के फैसले को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार दिया है। अब वह चाहते हैं कि भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर उनकी सहायता करे।पीएम केपी शर्मा ओली  ने प्रचंड के साथ सत्ता को लेकर रस्साकशी के बीच पिछले साल 20दिसंबर को प्रतिनिधि सभा भंग कर दी थी, जिसके बाद से देश में राजनीतिक संकट गहराया हुआ है। 275सदस्यीय सदन को भंग करने के PM के फैसले का प्रचंड गुट विरोध कर रहा है। प्रचंड  ने काठमांडू में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक समूह से बातचीत में कहा कि अगर हमें संघीय ढांचे एवं लोकतंत्र को मजबूत करना है, तो प्रतिनिधि सभा को बहाल करना होगा।

प्रचंड शक्ति प्रदर्शन करने के लिए बुधवार को राजधानी में एक विशाल रैली करने जा रहे हैं। इससे ठीक पहले उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उच्च्तम न्यायालय प्रतिनिधि सभा भंग करने के प्रधानमंत्री के असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक कदम को स्वीकृति नहीं देगा। प्रचंड ने चेतावनी भी दी कि यदि सदन को बहाल नहीं किया गया, तो देश एक गंभीर राजनीतिक संकट में चला जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती देने के लिए हम सभी को सरकार के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

प्रचंड ने कहा कि उनकी पार्टी ने पड़ोसी देशों भारत और चीन सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ओली के इस कदम के खिलाफ हमारे संघर्ष को समर्थन देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात से अवगत कराया है कि ओली के कदम से लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा है और हम भारत, चीन, यूरोपीय संघ और अमेरिका से देश के संघीय ढांचे और लंबे संघर्ष के बाद हासिल किए गए लोकतंत्र के प्रति समर्थन मांग रहे हैं।