डॉ. हर्ष वर्धन का डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक, दक्षिण पूर्व एशिया के स्वास्थ्य मंत्रियों से संवाद
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन डब्ल्यूएचओ की निदेशक, दक्षिण पूर्व एशिया (एसईए) डॉ. पूनम खेत्रपाल की क्षेत्र के सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ हुई बैठक में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए। बैठक में कोविड-19 महामारी के संदर्भ में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जारी रखने पर मुख्य जोर रहा।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कोविड-19 पर भारत की रणनीति के संबंध में बताया। उन्होंने बताया कि “चीन के 7 जनवरी को डब्ल्यूएचओ को सूचित किए जाने के बाद से ही भारत तेजी से महामारी से निपटने की तैयारियां कर रहा था।”
उन्होंने कहा, “कोविड के प्रति सक्रिय और क्रमिक संस्थागत प्रतिक्रिया के दम पर ही विकसित देशों की तुलना में भारी जनसंख्या घनत्व और कम जीडीपी खर्च तथा प्रति व्यक्ति डॉक्टर व अस्पताल की कम उपलब्धता के बावजूद भारत में प्रति मिलियन आबादी पर काफी कम मामले संभव हुए हैं और प्रति मिलियन आबादी पर मौत भी खासी कम हुई हैं।”
लॉकडाउन के प्रभाव पर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि “मामलों की वृद्धि में कमी लाने में यह काफी प्रभावी रहा और इससे सरकार को अपना स्वास्थ्य आधारभूत ढांचा व परीक्षण सुविधाएं बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय मिल गया।”
उन्होंने कहा कि “जनवरी में जहां एक ही प्रयोगशाला थी, वहीं आज भारत में 1,370 प्रयोगशालाएं हो चुकी हैं। अब भारतीय किसी भी स्थान से 3 घंटे से कम की यात्रा के बाद एक प्रयोगशाला तक पहुंच सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि डीआरडीओ द्वारा निर्मित मेक-शिफ्ट अस्पताल 1,000 मरीजों को भर्ती करने में सक्षम हैं, जिसके अलावा रिकॉर्ड 10 दिनों में 100 आईसीयू बिस्तर तैयार किए गए हैं। उच्च प्रभावी पहल सहित अन्य गतिविधियों के दम पर ही मृत्यु दर 3.33 प्रतिशत (18 जून) से 2.11 प्रतिशत (3 अगस्त) पर लाने में कामयाबी मिली है।
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