Hindi News

indianarrative

Lok Sabha: जम्मू-कश्मीर में ‘व्यवस्था परिवर्तन’ को लेकर अमित शाह ने कही बड़ी बात!

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह।

लोक सभा (Lok Sabha) में शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के तमाम मुद्दों पर खुलकर बातें की। उनका साफ कहना था कि जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार बहुत संवेदनशील है। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा।शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मैं फिर से कहता हूं कि इस विधेयक का जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। उपयुक्त समय पर प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। 4जी इंटरनेट सुविधाएं दबाव में बहाल करने के आरोप पर जवाब देते हुए शाह ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी जी ने कहा कि 2जी से 4जी इंटरनेट सेवा को विदेशियों के दबाव में लागू किया है।

अमित शाह ने आगे कहा कि उन्हें पता नहीं है कि यह संप्रग सरकार नहीं, जिसका वह समर्थन करते थे। यह नरेंद्र मोदी की सरकार है, जो देश के लिए फैसले करती है। अमित शाह ने आगे कहा कि यहां कहा गया कि अनुच्छेद 370हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूंगा लेकिन पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370को हटे हुए केवल 17महीने हुए हैं, आपने 70साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आए हो क्या?

अमित शाह ने कहा कि जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं। गृह मंत्री ने कहा कि मैं इस सदन को फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि कृपया जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें। राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो। शाह ने कहा कि औवेसी अफसरों का भी हिन्दू मुस्लिम में विभाजन करते हैं।

एक मुस्लिम अफसर हिन्दू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिन्दू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता क्या? उन्होंने कहा कि अफसरों को हिन्दू-मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं। बता दें कि एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जम्मू कश्मीर में आबादी के हिसाब से मुस्लिम अफसरों की संख्या कम होने का आरोप लगाया था।