Hindi News

indianarrative

FATF: ब्लैक लिस्ट होने के डर से इमरान खान का चेहरा पड़ा पीला!

FATF, Imran khan

आतंकियों के अर्थतंत्र पर नजर रखने वाली फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स यानी एफएटीआई की बैठक शुरू हो गई है। यह बैठक 22 से 25 तक चलेगा। इस बैठक में पाकिस्तन में आतंकियों की फंडिंग को लेकर चर्चा होगी। आतंकियों पर उठाए कदम की समीक्षा होगी। तमाम कोशिशों के बाद भी पाकिस्तान एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं आ सका है। अब उसे ब्लैक लिस्ट किए जाने की संभावना जताई जा रही है। भारत हमेशा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने की मांग करता रहा है। हाल के दिनों में यूरोप के कई देशों में आतंकी घटनाओं के बाद टेरर फंडिंग को एक गंभीर मसला के रुप में देखा जा रहा है।

क्या है एफएटीएफ ?

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह आतंकियों को 'पालने-पोसने' के लिए पैसा मुहैया कराने वालों पर नजर रखने वाली एजेंसी है। इसकी स्थापना फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी-7 समूह के देशों ने की थी। मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फंडिंग जैसी अनियमितताएं रोकने के लिए एफएटीएफ के 27 नियम हैं, जिनका पालन हर सदस्य देश को करना होता है। इनमें से किसी भी नियम का उल्लंघन करने वाले देश को ग्रे लिस्ट में रखा जाता है। यह एक तरह से ये चेतावनी सूची है।

पाकिस्तान जून 2018 से ग्रे लिस्ट में है। इससे पहले वह 2012 से 2015 तक भी इस लिस्ट में रहा। पाकिस्तान को 27 शर्तों को पूरा करने के लिए सितंबर 2019 तक का समय मिला था। 2020 में पाकिस्तान ने 21 शर्तों का पालन तो कर लिया, लेकिन अब भी छह शर्तों का पालन नहीं कर पाया है और इसी वजह से वह ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने का मतलब है कि ईरान की तरह पाकिस्तानी बैंकों की डीलिंग अंतरराष्ट्रीय जगत में खत्म हो जाएगी और कोई भी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान पाकिस्तान को आर्थिक मदद नहीं करेगा।