विपक्ष विहीन सदन में विश्वास मत हासिल करने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एक और नई परेशानी में घिरते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया और विपक्ष के नेताओं का आरोप है कि इमरान खान के इशारे पर आईएसआई ने कुछ सांसदों को अगवा कर कंटेनर में बंद किया और उन्हें इमरान खान के पक्ष में वोट डालने के लिए मजबूर किया गया।
पीएमएल- एन की नेता मरियम नवाज शरीफ ने कहा है कि इमरान खान ने बहुमत हासिल करने के लिए खुफिया एजेंसी आईएसआई का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसी ने सांसदों को 4घंटे तक कंटेनर के अंदर बंद रखा और उन्हें इमरान के समर्थन में वोट देने के लिए बाध्य किया।
मरियम ने आरोप लगाया कि इमरान खान की पार्टी के सांसद उनकी पार्टी के साथ संपर्क में थे और खुफिया एजेंसी ने इमरान खान के विश्वास मत हासिल करने से पहले लोगों को गायब कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान के अंदर कोई कानूनी, संवैधानिक, राजनीतिक या नैतिक मूल्य नहीं बचा है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जिन सांसदों ने दो दिन पहले यूसुफ रजा गिलानी को वोट दिया था, उन्होंने अचानक कैसे मन बदल लिया।
इससे पहले राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के निर्देश पर बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान खान ने संसद के 342सदस्यीय निचले सदन में 178सदस्यों का समर्थन हासिल किया। विश्वास मत की प्रक्रिया विपक्ष की मौजूदगी के बगैर हुई क्योंकि 11दलों के गठबंधन-पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) – ने मतदान का बहिष्कार किया था। मरियम नवाज ने पिछले दिनों कहा कि खान के दिन अब गिनती के बचे हैं।
मरियम ने कहा, 'अब यह बस समय की बात है कि वह कब जाते हैं।' उन्होंने खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 'उपद्रवियों' द्वारा पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब, पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी और पूर्व गृह मंत्री अहसन इकबाल समेत अन्य नेताओं के साथ बदसलूकी को लेकर भी उन पर निशाना साधा था। मरियम ने कहा, 'मेरा सिर यह देखकर फख्र से ऊंचा हो गया कि आपने कैसे भाड़े के कुछ दर्जन गुंडों का मुकाबला किया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया।'
वहीं पीडीएम के प्रमख मौलाना फजलुर रहमान ने ने कहा है कि इस विश्वास मत का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, 'यह एक विश्वास मत नहीं था। हम जानते हैं कि किन एजेंसियों द्वारा रात भर सदस्यों के घरों पर नजर रखी जा रही थी। किसने प्रत्येक सदस्य की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये उनके दरवाजों पर दस्तक दी।' उनका संदर्भ उन खबरों को लेकर था जिनमें कहा गया था कि सरकार ने अपने सदस्यों को इस्लामाबाद में लॉज में कड़ी निगरानी में रखा था जिससे शक्ति परीक्षण के दौरान वे सभी संसद में मौजूद रहें।