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ब्रिटिश संसद में किसान आंदोलन की चर्चा पर भारत का सख्त ऐतराज, ब्रिटिश हाई कमिश्नर को तलब कर दी सख्त नसीहत

किसान आंदोलनः विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब कर दी सख्त नसीहत

भारत के कृषि सुधारों पर ब्रिटिश संसद में ‘अवांछित और एक विशेष विचार का समर्थन करने वाली चर्चा' कराए जाने पर विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के उच्चायुक्त को तलब किया और अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने ब्रिटेन के उच्चायुक्त से कहा भारत के कृषि सुधारों पर ब्रिटिश संसद में चर्चा कराया जाना दूसरे लोकतांत्रिक देश की राजनीति में दखलअंदाजी है।

विदेश सचिव ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को यह हिदायत भी दी कि ब्रिटिश सांसदों को विशेष रूप से अन्य लोकतांत्रिक देश से जुड़े घटनाक्रमों पर वोट बैंक की राजनीति करने से बचना चाहिए।

इससे पहले किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटेन की संसद में चर्चा हुई। आंदोलन कर रहे किसानों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन की संसद में डाली गई याचिका के बाद यह चर्चा हुई है। जानकारी के मुताबिक, इस याचिका पर एक लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे।

लंदन के पोर्टकुलिस हाउस में  चर्चा के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने साफ कहा कि कृषि भारत का आंतरिक मामला है और उसे लेकर किसी विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती। वहीं चर्चा पर जवाब देने के लिए प्रतिनियुक्त किए गए मंत्री निगेल एडम्स ने कहा कि कृषि सुधार भारत का 'घरेलू मामला' है, इसे लेकर ब्रिटेन के मंत्री और अधिकारी भारतीय समकक्षों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। एडम्स ने उम्मीद जताई कि जल्द ही भारत सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत के माध्यम से कोई पॉजिटिव रिजल्ट निकलेगा।